काला मोतियाबिंद (ग्लूकोमा) के कारण, लक्षण और बचाव। Type of glaucoma ! Glaucoma in Hindi

 

काला मोतियाबिंद (ग्लूकोमा) क्या होता है?What is a black cataract (glaucoma)?


काला मोतियाबिंद को ग्लूकोमा या काला मोतिया भी कहा जाता है । काला मोतियाबिंद आंखों में होने वाली एक गंभीर समस्या है। हमारी आंखों में ऑप्टिक नर्व होती है। जो किसी भी वस्तु का चित्र दिमाग तक पहुंचाती है। ग्लूकोमा के दौरान हमारी आंखों पर अत्यधिक दबाव बढ़ता है। लगातार बढ़ते दबाव के कारण हमारे ऑप्टिक नर्व नष्ट हो सकते हैं। इस दबाव को इंस्ट्रा आर्टिरियल प्रेशर कहते हैं । यदि और आंखों के अन्य भागों पर पड़ने वाले प्रभाव को नियंत्रित ने किया जाए, तो व्यक्ति हमेशा के लिए अंधा हो सकता है। ऐसा अनुमान लगाया जाता है। कि भारत में लगभग 40 या उससे ज्यादा उम्र के एक करोड़ से ज्यादा लोग हो जमीन से पीड़ित हैं। अंधेपन के प्रमुख कारकों में से एक है । यह किसी भी उम्र में हो सकता है। लेकिन बूढ़े लोगों में अधिकतर पाया जाता है । शुरुआत में ग्लूकोमा का कोई लक्षण दिखाई नहीं देता। इसका असर बहुत धीमी गति से होता है। जब तक विकार नहीं होता तब तक नजर नहीं आता।



काला मोतियाबिंद (ग्लूकोमा) के प्रकार:-

Types of the glaucoma :

1-प्राथमिक (क्रॉनिक ) ओपन- एंगल ग्लूकोमा

2-एंगल- क्लोजर ग्लूकोमा

3-सामान्य तनाव ग्लूकोमा

4-सेकेंडरी ग्लूकोमा

5-जन्मजात ग्लूकोमा


काला मोतियाबिंद ग्लूकोमा के क्या कारण है- causes of glaucoma :


ग्लूकोमा ऑप्टिक तंत्रिका को होने वाले नुकसान का परिणाम है। इसके कारण आपके दृश्य क्षेत्र में ब्लाइंड स्पॉट्स बनने शुरू हो जाते हैं। यह तंत्रिका क्षति आमतौर पर आंखों पर बढ़ते दवाब से संबंधित होती। 

यह नेत्र दबाव एक तरल के निर्माण के कारण होता है । जो आंखों से लगातार निकलता रहता है। यह द्रव आमतौर पर तरल आंखों के लेंस और कॉर्निया के बीच बहने और में एकत्र हो जाता है। जब द्रव अधिक होता है या धर्म निकासी प्रणाली ठीक से काम नहीं करती तो द्रव सामान्य रूप से बाहर नहीं निकल पाता और दबाव बढ़ने लगता है।

1-कुछ बीमारियां जैसे मधुमेह या हाइपोथाइरॉएडिज्म

2-आंखों में लगने वाली चोट या अन्य समस्याएं

3-आंखों की सर्जरी

4-निकट दृष्टि दोष

5-ड्राई लेटिंग आई ड्रॉप्स

6-आंखों में अब रुद्ध या  प्रतिबंधित जल निकासी


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काला मोतियाबिंद (ग्लूकोमा ) के लक्षण : Symptoms of glaucoma : 

1-ओपन एंगल (क्रॉनिक) ग्लूकोमा-ओपन एंगल मोतियाबिंद की शुरुआत में कोई लक्षण दिखाई नहीं देते। जैसे-जैसे यह रोग बढ़ता है, आपकी परिधीय (साइड ) दृष्टि में ब्लाइंड स्पाॅट्स विकसित हो जाते हैं।

ओपन एंगल ग्लूकोमा से पीड़ित अधिकतर व्यक्ति अपनी दृष्टि में तब तक कोई परिवर्तन महसूस नहीं कर पाते,

जब तक ये ग्लूकोमा गंभीर रूप से आंखों को नुकसान नहीं पहुंचा देता।

2-एंगल-क्लोजर ग्लूकोमा-

ऐसे व्यक्ति जिन्हें एंगल क्लोजअप लोगों में होने की संभावना होती है उनमें सामान्य रूप से तब तक कोई लक्षण नजर नहीं आते जब तक यह गंभीर रूप से फेल नहीं जाता।

एंगल क्लोजर ग्लूकोमा के लक्षण निम्नलिखित हैं-

1-आंखों या माथे में तेज दर्द होना

2-आंखें लाल होना

3-दृष्टि का कमजोर है धूल ना होना

4-रोशनी के चारों ओर रंग के छल्ले बने दिखना

5-सिर दर्द

6-जी मिचलाना

7-उल्टी

3-सामान्य तनाव ग्लूकोमा-

“सामान्य तनाव मोतियाबिंद से ग्रस्त लोगों की आंखों में दबाव

 सामान्य सीमा के भीतर ही होता है। इसमें 

तंत्रिका की क्षति और  जैसे लक्षण नजर


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काला मोतियाबिंद (ग्लूकोमा)से बचाव –

Prevention of glaucoma :

नियमित रूप से आंखों का परीक्षण  करवाते रहने से काला मोतिया से बचा जा सकता है

इससे बचाव के तरीके अभी तक ज्ञात नहीं है। अगर इस बीमारी का पता आरंभ में चल जाये, तो मोतियाबिंद से अंधेपन को रोका जा सकता है।प्रारंभिक चरण में इसकी पहचान और लंबे समय तक करवाया जाने वाला उपचार ज्यादातर लोगों की दृष्टि को बनाये रखता है। पर काला मोतियाबिंद की जांच करवाते रहना चाहिए- 

1. 40 साल की उम्र से पहले, हर 2 से 4 साल में

2. 40 से लेकर 54 साल की उम्र तक, हर एक से 3 साल में

3. 55 से 64 साल की उम्र से, हर एक से 2 साल में

4. 10 साल की उम्र के बाद, हर 6 से 12 महीने में

जिन लोगों को काला मोतियाबिंद होने का जोखिम ज्यादा हो उन्हें इससे बचने के लिए 35 वर्ष की आयु के बाद हर एक या 2 साल में परीक्षण करवा लेना चाहिए। ग्लूकोमा होने का जोखिम होने के खतरा ज्यादा कब और कैसे होता है, इसके बारे में नीचे बताया गया है। अगर आपको ग्लूकोमा होने का खतरा है तो जीवन शैली को बेहतर बनाने के लिए नियमित व्यायाम और पौष्टिक आहार की सलाह देते हैं। आपको शारीरिक मानसिक और भावनात्मक रूप से भी अपना ख्याल रखना चाहिए।

यहां आपको  कुछ बातों को ध्यान में रखना चाहिए –

1-आंखों की नियमित जांच -नियमित रूप से आंखों की जांच करवाने से ग्लूकोमा को उसके शुरुआती चरण में ही पहचान कर उसका इलाज किया जा सकता है।

2-प्रतिदिन व्यायाम करना- दैनिक दैनिक रूप से व्यायाम करना  हमारे स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होता है।

3-आंखों की सुरक्षा-आंखों में लगने लगने वाले चोट से क्रोमेटिक ग्लूकोमा या सेकेंडरी ग्लूकोमा का खतरा बढ़ जाता है। अतः इन चोटों से आंखों को बचाकर रखने से काला मोतिया को रोका जा सकता है।

4-आई ड्रॉप्स का इस्तेमाल-डॉक्टर द्वारा बताए गए आई ड्रॉप्स को आंखों में नियमित रूप से डालें।

5- अनुवांशिक कारणों की जानकारी-अपने परिवार के नेत्र स्वास्थ्य संबंधित इतिहास को जाने।


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