घेंघा रोग के कारण, लक्षण और इलाज । What is goitre disease, goitre disease in hindi

 

घेंघा रोग क्या है?What is goitre disease?


थायराइड ग्रंथि का आकार बढ़ने को घेगा (गलगंड) कहा जाता है। थायराइड एक तितली के आकार की ग्रंथि होती है, जो गर्दन के अंदर ठीक कॉलर बोन के ऊपर स्थित होती है। लेकिन यदि इसमें थायराइड ग्रंथि का आकार अधिक बढ़ जाए तो इससे खासी, निगलने व सांस लेने में दिक्कत होने लग जाती है।



गलगंड के क्या लक्षण होते हैं?What are the symptoms of goitre?


गर्दन में सूजन आना घेंघा रोग का सबसे पहला लक्षण होता है। इस दौरान थायराइड ग्रंथि में गांठ भी बन सकती है, जो आकार में छोटी या बड़ी भी हो सकती है। थायराइड में गांठ बनने से गर्दन की सूजन और अधिक दिखने लग जाती है।(और पढ़ें-सूजन कम करने का तरीका)

घेंघा रोग के कुछ अन्य लक्षण जैसे:

1. निगलने में कठिनाई होना

2. सांस लेने में दिक्कत होना

3. गला बैठना

4. खांसी होना

5. अपनी बाजुओं को सिर से ऊपर करने पर सिर घूमना या चक्कर आना जैसा महसूस होना।


घेंघा रोग के कारण :Causes of goitre disease:


यदि आपकी थायराइड ग्रंथि बहुत अधिक मात्रा में थायराइड हार्मोन (हायपरथायराइडिज्स) बनाती है, ये दोनों ही स्थितियों में आपको घेंघा रोग होता है।कुछ दुर्बल मामलों में जब पीट्यूटरी  ग्रंथि पीयूष ग्रंथि हार्मोन की मात्रा को बढ़ाने के लिए थायराइड ग्रंथि को उत्तेजित करके उसका आकार बढ़ा देती है, तब भी घेंघा रोग हो जाता है।(और पढ़ें-हार्मोन असंतुलन का इलाज)कुछ मामलों में थायराइड हार्मोन की मात्रा को बढ़ाएं बिना भी थायराइड ग्रंथि का आकार बढ़ जाता है, इस स्थिति को “नान-टॉक्सिक मल्टीनोड्यूलर ग्लैंड” कहां जाता है।


घेंघा रोग का इलाज कैसे किया जाता है?


घेंघा रोग की गंभीरता व उससे जुड़े लक्षण के आधार पर डॉ उसके लिए उचित उपचार चुनते हैं। इसके अलावा इलाज उन स्थितियों के अनुसार भी किया जा सकता है, जो घेंघा रोग  का कारण बनती है।  घेंघा रोग के इलाज में निम्न में शामिल है:-

1-ऑपरेशन- सर्जरी के दौरान थायराइड ग्रंथि को शरीर से निकाल दिया जाता है इस प्रक्रिया को “थायराइडेक्टाॅमी” कहा जाता है।

2-दवाएं- यदि आपको 

हायपरथायराइडिज्म या हाइपोथायरायडिज्म है तो इन स्थितियों का इलाज करने से गोइटर का आकार कम होने लग जाता है।

3-रेडिएएक्टिव आयोडीन- मरीज को यह आयोडीन पिलाई जाती है जो फिर यह खून के माध्यम से थायराइड तक पहुंचती है और असाधारण रूप से बड़े हुए उत्तको को नष्ट कर देती है।


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