दांतों में कीड़े ( कैविटी ) के कारण और लक्षण ! दांतों में कीड़े के प्रकार

  

दांतों में कीड़े क्या है ? What is cavity ?


जब दांतो की सख्त सतह  हमेशा के लिए नष्ट हो जाती है और छोटे छेद में विकसित हो जाती है, उसे दांतो की कैविटी कहां जाता है। कैवटी को दांतों का सड़ना या दातों में कीड़ा लगना भी कहा जाता है।

दांत की तीन परतें होती हैं:-

1-इनेमल-हाथों की बाहरी और रक्षा करने वाली परत

2-डेंटीन-इनेमल के नीचे की नरम पर्थ

3-पल्प-डेंटिन के नीचे मौजूद नस

कैविटी तब होती है जब कार्बोहाइड्रेट युक्त खाना जैसे कि ब्रेड , अनाज, दूध, पेप्सी या कोक जैसी सॉफ्ट ड्रिंक्स, फल, केक, टॉफी हमारे दांतो मे रह जाते हैं। हमारे मुंह में मौजूद बैक्टीरिया उसे एसिड में तब्दील कर देते हैं।



यह एसिड इनेमल के द्वारा दांतो की भीतरी सतह तक पहुंच सकता है। इसी तरह दांतो की नरम परत पर रन शुरू हो जाती है जो कि दांत का मुख्य भाग है। जैसे ही डेंटिंग और इनेमल की परत टूट जाती है वैसे ही कैविटी बनने शुरू हो जाती है। अगर सड़न को ना हटा जाए तो बैक्टीरिया बढ़ता जाएगा और एसिड बनता रहेगा। घटते हुए मसूड़ों की वजह से दिखाई देने वाली नसों में भी कैविटी पैदा हो सकती है। जोड़ों की बाहरी सतह इनेमल जो की पतली होती है। बैक्टीरिया में मौजूद एसिड उसे जल्दी नष्ट कर देता है।


दांतों में कीड़े (कैविटी) के प्रकार:-Types of cavities (dental caries) 


कैविटी को 3 कारकों के आधार पर वर्गीकृत किया जाता है:-

1-कैविटी की जगह के अनुसार-

1-प्राइमरी कैविटी-1-स्मूथ कैविटी-कीड़ा चिकनी सतह पर लगता है। 2-पिट और फिशर कैविटी-कीड़ा जो पिट और फिशर एरिया में लगता है।

2-सेकेंडरी कैविटी-बार-बार होने वाली कैविटी।दांतो की भराई करने के बाद जब कीड़ा लगता है उसे सेकेंडरी कैविटी कहते हैं।

2-केवटी फैलने की दिशा के अनुसार-1-बैकवर्ड कैविटी-जब कीड़े डेंटिन इनेमल जंक्शन से इनेमल तक फैल जाते हैं।2-फॉरवर्ड कैविटी-जब कीड़ा इनेमल से दांत की जड़ तक फैल जाता है।

3-कैविटी चरण के अनुसार-1-इंसिपिएंट कैविटी-पहली कीड़े की गतिविधि जो इनेमल में होती है।2-कविता तेड़ कैविटी-जब इनेमल टूट जाता है और कैविटी डेंटिन तक पहुंच जाती है।


डेंटल कैविटी के लक्षण : Symptoms of dental cavity :


संकेत व लक्षण भिन्न भिन्न प्रकार के होते हैं, जो कि उसकी सीमा और जगह पर निर्भर करते हैं। कैविटी के शुरुआती स्तर पर लक्षण मिलना अनिवार्य नहीं है। जैसे ही सड़न बढ़ती जाएगी, वह संकेत और लक्षण दिखने शुरू हो जाएंगे

1-दांतो की सतह पर काले, भूरे और सफेद रंग के दाग दिखाई देना

2-चलाते वक्त दर्द होना

3-दांतों में छेद और गड्ढे दिखाई देना

4-मीठा गर्म या ठंडा खाते पीते वक्त हल्के से तेज दर्द होना

5-दांतों में झनझनाहट

6-दांतों में दर्द, स्वभाविक दर्द या ऐसा दर्द जो बिना किसी कारण हो।

 दांतों में कीड़े (कैविटी) के कारण और जोखिम कारक- गुहाओं (दंत क्षय) के कारण और जोखिम कारक


दांतों में कीड़े लगने के कारण :Causes of teeth worms:


बैक्टीरिया सामान्य रूप से हमारे मुंह में पाए जाते हैं। यह बैक्टीरिया खासतौर पर शुगर और स्टार्च को एसिड में तब्दील कर देते हैं। बैक्टीरिया , एसिड, खाने के टुकड़े और लार मिलकर हमारे मुंह में एक चिपचिपा पदार्थ बनाते हैं, इसे प्लाक कहते हैं। प्लाक दांतो से चिपक जाता है।यह पीछे वाली दालड़ में बहुत काम होता है, यह मसूड़ों के बिल्कुल ऊपर और भराई की धार पर होता है। खाना खाने के 20 मिनट के अंदर दांतो पर प्लाक बनना शुरू हो जाता है। एसिड जो कि प्लाक में मिला होता है। हमारे दांतो की कवरिंग को नष्ट कर देता है और उसमें गड्ढे बना देता है। कैविटी आमतौर पर परेशान नहीं करती है, लेकिन जब वह बड़ी होती है,वह नसों को प्रभावित करती है , जिससे कि दांत खराब हो जाता है।


दांतों में कीड़े लगने के जोखिम के कारक:-


1-दांत की जगह-सड़न खासतौर पर पीछे वाले दांतो में होती है इन दातों में बहुत सारे गड्ढे छेद हो जुड़े होते हैं जो कि खाने के कड़ों को इकट्ठा कर लेती हैं।

2-कुछ खाने की और पर वस्तु-ड्रिंक सूखे मेवे, केक, बिस्कुट टॉफी और चिप्स।

3-बार-बार खाना या पीना-जब आप बार-बार खाना या मीठी चीजों को खाते हैं, तब मुंह के बैक्टीरिया दांतो पर हमला करने के ज्यादा अवसर मिलते हैं।


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