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भोजन विकार के कारण, लक्षण और बचाव । Type of eating disorder ! Eating disorder in Hindi

 

भोजन विकार क्या है?

What is eating disorder?

भोजन विकार में रोगी पर आमतौर से भोजन शरीर का वजन या शरीर के आकार से जुड़ा कोई जुनून सवार हो जाता है और इसके परिणाम स्वरूप गंभीर बीमारियां पैदा हो जाती हैं यहां तक कि कुछ मामलों में मरीज की मृत्यु भी हो जाती है।

भोजन विकास से जुड़े लोगों में कई प्रकार के लक्षण महसूस हो सकते हैं। हालांकि सबसे अधिक महसूस की जाने वाले लक्षणों में भोजन ना करना, अधिक भोजन करना, उल्टी करना या अधिक एक्सरसाइज करना आदि शामिल है।वैसे तो भोजन विकार महिला और पुरुषों दोनों को किसी भी उम्र में हो सकता है लेकिन यह सबसे ज्यादा किशोरों और कम उम्र वाली महिलाओं को भी होता है 20 साल की कम उम्र में 13% युवा किसी ना किसी भोजन विकार से ग्रस्त होते हैं। इलाज की मदद से भोजन से जुड़ी स्वस्थ आदतों को फिर से शुरू किया जा सकता है और भोजन विकार से हुई गंभीर जटिलताओं को भी ठीक किया जा सकता है।



भोजन विकार के कारण : Causes of Eating Disorder:

1-अनुवांशिकी-कुछ लोगों में ऐसे जीन होते हैं जो उन्हें भोजन विकार को विकसित करने के जोखिम बढ़ा देते हैं कुछ जाविक कारण जैसे मस्तिष्क के केमिकल में बदलाव भी भोजन विकार विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।

मानसिक या भावनात्मक कारक-

भोजन विकार से ग्रस्त लोगों को मानसिक या भावनात्मक समस्याएं हो सकती हैं जो उन में भोजन विकार को बढ़ावा देती हैं। उनमें आत्म सम्मान में कमी रिश्ता चिड़चिड़ा व्यवहार हो सकता है । इसके अलावा भोजन विकार से ग्रस्त मरीजों को रिश्ते निभाने में भी कठिनाई होती है।

भोजन विकार के लक्षण-Symptoms of Eating Disorder:

1-एनोरेक्सिया:-एनोरेक्सिया से ग्रस्त लोग कैलोरी की मात्रा को बहुत ही कम कर देते हैं और वजन घटाने के अन्य तरीकों का भी इस्तेमाल करते हैं जैसे एक्साइज करना, डाइटिंग प्रक्रिया का इस्तेमाल करना और उल्टी करना आदि।

2-बुलिमिया-बुलिमिया नर्वोसा विकार के मरीज आम तौर पर अपने शरीर के वजन और आकृति को लेकर काफी बेचैन रहते हैं। यहां तक कि सामान्य वजन या थोड़ा बहुत ज्यादा वजन होने पर भी अपने शरीर के साथ बेहद कठोर व्यवहार करते हैं।

3-बिंज ईटिंग डिसऑर्डर-इस प्रकार में मरीज अधिक भोजन खाने की आदत होने के कारण गिरने या शर्मिंदा महसूस करने लगता है। लेकिन इस विकार वाले लोग एनोरेक्सिया या बुलिमिया विकार से ग्रस्त लोगों की तरह अधिक एक्सरसाइज करके यह उल्टी आदि करके अपनी इस आदत की भरपाई करने की कोशिश नहीं करते।

भोजन विकार के प्रकार-

Types of eating disorder :

1-एनोरेक्सिया नर्वोसा

2-बुलिमियां नर्वोसा

3-बिंज ईटिंग डिसऑर्डर

यह तीनों भोजन विकार के सबसे आम प्रकार हैं भोजन प्रकार के अन्य प्रकारों में रूमिनेशन डिसऑर्डर आदि शामिल है

अधिक खाने का विकार-ब्रिंग इट इज डिस ऑर्डर से ग्रस्त मरीज रोजाना अत्यधिक भोजन खाते हैं और भोजन पर कंट्रोल नहीं कर पाते। इस प्रकार में मरीज यहां तक कि भूखे ना होने के बावजूद भी जल्दी जल्दी खाते हैं और उम्मीद से अधिक खा लेते हैं। मरीज अक्सर तब तक खाते रहते हैं ।जब तक उनको पेट भरने के बाद बेचैनी ना महसूस हो।

बुलिमिया नर्वोसा-आम भाषा में इसे बोली मियां कहां जाता है यह गंभीर और संभावित रूप से जीवन के लिए हानिकारक स्थिति होती है । बुलिमियां नर्वोसा से ग्रस्त लोग थोड़े समय में अधिक और बार-बार खाते हैं और फिर ऐसे तरीके से अतिरिक्त कैलोरी निकालने की कोशिश करते हैं जैसे जबरदस्ती उल्टी करना या अत्यधिक एक्सरसाइज करना।

एनोरेक्सिया नर्वोसा-इसे आम भाषा में एनोरेक्सिया कहा जाता है । यह संभावित रूप से जीवन के लिए हानिकारक भोजन विकार होता है। इसमें असाधारण रूप से वजन घटना वजन बढ़ाने का डर रहता और शरीर का वजन व्यापार असाधारण होने की धारणा बना लेना आदि शामिल है एनोरेक्सिया से ग्रस्त लोग अपने शरीर के वजन और आकृति और कंट्रोल करने के लिए अत्यधिक प्रयास करते हैं । जिससे उनके स्वास्थ्य और जीवन की गतिविधियां पर काफी प्रभाव पड़ता है।

भोजन विकार से बचाव:-

Prevention of eating disorder :

वैसे तो भोजन विकार को रोकने का कोई निश्चित तरीका नहीं है। लेकिन यहां कुछ तरीके हैं जिनकी मदद से बच्चे में भोजन संबंधी अच्छी आदतें विकसित की जा सकती हैं। 

1-बच्चों के आसपास डाइटिंग की बातें ना करें-परिवार के डाइटिंग की आदतें बच्चों की भोजन संबंधी आदतों को प्रभावित करती है परिवार के साथ एक साथ भोजन करने से बच्चों को डाइटिंग के नुकसान और भोजन संबंधित सही अर्थ सिखाने का

 अच्छा अवसर मिलता है।

2-अपने बच्चों से बात करें-उदाहरण के लिए इंटरनेट पर कुछ वेबसाइट ऐसे हैं जो खतरनाक विचारों को बढ़ावा देती हैं । जैसे बच्चों के मन से ऐसी गलत धारणाओं को निकालने के लिए और भोजन संबंधी गलत आदतों के जोखिमों को बताने के लिए डॉक्टर से बात करना जरूरी होता है।

3-स्वास्थ्य शरीर की भावना पैदा करें-चाय आपके बच्चे के शरीर की आकृति का आकार कैसा भी हो कोशिश करें कि वह अपने शरीर को स्वस्थ समझे। आपके बच्चे के साथ उसकी खुद की छवि के बारे में बात करें और उससे समस्या समस्या कि हर व्यक्ति के शरीर का आकार और आकृति अलग अलग होती है। यह अलग बात है कि बच्चे के सामने खुद के शरीर की आलोचना करें खुद को स्वीकार करने और सम्मान करने की भावना बच्चे के आत्मसम्मान को बनाती है। यह भावना बच्चे को किशोरावस्था के दौरान आने वाली कठिनाइयों का डटकर मुकाबला करने में मदद करती है।


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