| |

रीड की हड्डी में टेढ़ापन के कारण और लक्षण ! Types of spinal curvature

  

रीड की हड्डी में टेढ़ापन:-Reed bone curvature: –

स्कोलियोसिस रीड की हड्डी संबंधी एक विकार होता है। जिसमें रीड की हड्डी में टेढ़ापन (मोड़) आ जाता है। एक तरफ से देखने पर रीड की हड्डी में सामान्य मोड़ दिखाई देता है और सामने से देखने पर हड्डी सीधी दिखाई पड़ती है। स्कोलियोसिस के कारण रीड की हड्डी में एक तरफ टेढ़ापन आ जाता है। यह रीड की हड्डी के किसी भी हिस्से को प्रभावित कर सकता है,लेकिन ज्यादातर मामलों में यह छाती के पीछे या पीठ के पास की रीड की हड्डी प्रभावित करता है। रीड की हड्डी में टेढ़ापन होने का खतरा लड़कों के मुकाबले लड़कियों में 2 गुना अधिक होता है।



 रीड की हड्डी में टेढ़ापन के प्रकार:-

Types of spinal curvature 

1-डीजेनेरेटिव स्कोलियोसिस-रीड की हड्डी में टेढ़ापन का यह प्रकार गठिया रोग में रीड की हड्डी की क्षतिग्रस्त होने से संबंधित होता है। यह आमतौर पर उम्र के साथ-साथ बदतर होता रहता है।

2-काॅनजेनिटल स्कोलियोसिस-यह समस्या शिशु को जन्म से ही होती है। आमतौर पर शिशु की कशेरुकाओं ठीक से ना बनने के परिणाम स्वरूप रीड की हड्डी सीधी नहीं हो पाती है ।

3-न्यूरोमस्कुलर स्कोलियोसिस-यदि तंत्रिका तंत्र संबंधी समस्या से ग्रस्त किसी व्यक्ति को स्कोलियोसिस हो गया है,तो उस स्थिति को न्यूरोमस्कुलर स्कोलियोसिस कहा जाता है। और  इनमें सेरेब्रल पाल्सी, स्पाइना बिफिडा, रीड की हड्डी में चोट इन से संबंधित अन्य समस्याएं शामिल है।


स्कोलियोसिस के कारण वे जोखिम कारक:

-spinal curvature and risk factors in Hindi

कुछ स्थितियां हैं जिनके कारण रीड की हड्डी में टेढ़ापन आ सकता है। कई मामलों में हड्डी में टेढ़ापन होने का कोई निश्चित कारण नहीं होता है और ना ही उसकी रोकथाम के लिए कोई विकल्प होता।इस स्थिति में रीड की हड्डी सामान्य रूप से सीधी विकसित नहीं हो पाती है। जिस कारण से यह ठीक रीड की हड्डी के विकसित होने से संबंधित समस्याएं होती हैं, जिस कारण से यह ठीक तरीके से विकसित नहीं हो पाती है। कुछ लोगों को नसों या मांस पेशियों संबंधी रोग होते हैं या अन्य कोई समस्या होती है जो रीड की हड्डी में टेढ़ापन का कारण बन सकते हैं। इन स्थितियों में मांस पेशियों संबंधी असामान्यताएं शिशु के शारीरिक विकास से जुड़ी होती हैं, जिसके परिणाम स्वरुप रीड की हड्डी में टेढ़ापन भी हो सकता है।  स्कॉलरशिप के अन्य कारणों में निम्न शामिल हो सकते हैं:-

1-बोन डिस्प्लेशिया-इस स्थिति में हड्डियां सामान्य तरीके से विकसित नहीं हो पाती हैं, जो स्कोलियोसिस से संबंधित हो सकती हैं।

2-टांगों में अंतर-यदि एक टांग की लंबाई दूसरी से थोड़ी सी भी ज्यादा है, तो इस स्थिति में रीड की हड्डी में थोड़ा बहुत टेढ़ापन आ सकता है,लेकिन आमतौर पर इसमें कोई गंभीर स्थिति पैदा नहीं होती है।

3-लकवा के साथ-साथ रीड की हड्डी की चोट

4-संक्रमण

5-ट्यूमर

रीढ़ की हड्डी में टेढ़ापन होने का खतरा कब बढ़ता है?

कुछ स्थितियां हैं जिनमें स्कॉलरशिप होने के जोखिम बढ़ जाते हैं:-

1-9 से 15 साल की उम्र में

2-महिलाएं (पुरुषों के मुकाबले महिलाओं में स्कोलियोसिस के अधिक मामले देखे गए हैं)

3-पारिवारिक समस्या (परिवार में किसी अन्य व्यक्ति को स्कॉलरशिप है, तो आपको भी यह रोग होने का खतरा बढ़ जाता है)


रीढ़ की हड्डी में टेढ़ापन के लक्षण:-Scoliosis Symptoms 

यदि किसी व्यक्ति की रीड की हड्डी में टेढ़ापन आ गया है, तो उसमें निम्न लक्षण देखे जा सकते हैं:-

1-आगे की तरफ मुड़ने पर कमर की दोनों तरफ एक समान ना होना।

2-सीधा खड़ा होने पर भी दोनों बाजू छोटी बड़ी दिखाई देना।

3-कंधे के पीछे दिखाई देने वाली हड्डी उभरा हुआ दिखाई देना।

4-सिर शरीर के बीच में ना होकर एक तरफ दिखाई देना।

5-रीढ़ की हड्डी के ऊपर की त्वचा को देखने में कुछ असामान्य महसूस होना ।

6-दोनों तरफ से कमर की आकृति एक समान ना होना।

7-कूल्हे की हड्डियां सामान्य स्थान पर ना होना या एक समान ऊंचाई ना होना।

8-एक या दोनों तरफ के कुल्हे बाहर की तरफ निकल जाना।


रीढ़ की हड्डी में टेढ़ापन से बचाव:-prevention of scoliosis in

स्कोलियोसिस एक ऐसा रोग है, जिस के विकसित होने से बचाव नहीं किया जा सकता क्योंकि यह शिशु को जन्म से ही होता है। स्कॉलरशिप के लिए कोई सफल इलाज नहीं है, लेकिन इसके लक्षणों को कंट्रोल किया जा सकता है।

YouTube channel 👈

Leave a Reply

Your email address will not be published.