सिर में पानी ( जलशीर्ष ) के कारण, लक्षण और बचाव । What is Hydrocephalus ! Hydrocephalus in hindi
जलशीर्ष क्या है?
What is Hydrocephalus?
यह मस्तिष्क संबंधी एक ऐसी स्थिति होती है, इसमें सेरेब्रॉस्पाइनल द्रव मस्तिक में फंस जाता है और बाहर नहीं निकल पाता। सेरेब्रॉस्पाइनल द्रव, पानी जैसे रंगहीन एक द्रव होता है, जो रीड की हड्डी ओ और मस्तिष्क को कुशन प्रदान करता है। मस्तिष्क में अधिक द्रव हो जाने के कारण खोपड़ी में दवाब बढ़ जाता है।
जलशीर्ष के कारण : Due to hydrocephalus :
यह रोग सेरेब्रॉस्पाइनल द्रव के असंतुलन के कारण होता है। इस रोग सेरेब्रॉस्पाइनल द्रव के बनने की मात्रा और खून में अवशोषित होने की मात्रा के बीच का संतुलन बिगड़ जाता है।
सेरेब्रॉस्पाइनल द्रव मस्तिष्क के अंदर की एक परत द्वारा बनाया जाता है। यह दो चैनलों के बीच की जगह मैं उन्हें आपस में जोड़ता हुआ बहता है। अंत में यह द्रव मस्तिष्क ब रीड की हड्डी के आसपास पहुंच जाता है। सेरेब्रॉस्पाइनल द्रव को मुख्य रूप से मस्तिष्क के पास के रक्त कोशिकाओं के द्वारा अवशोषित किया जाता है।
आमतौर पर निम्न कारणों से सेरेब्रॉस्पाइनल द्रव की मात्रा अत्यधिक बढ़ जाती है।
1-रुकावट होना- सेरेब्रॉस्पाइनल द्रव के सामान्य रूप से बहने की गति में किसी प्रकार के रूकावट होने से यह असामान्य रूप से जमा होने लगता है।
2- ठीक से अवशोषित ना होना-
यह एक ऐसी शारीरिक स्थिति होती है, जिसमें रक्त कोशिकाएं सेरेब्रॉस्पाइनल द्रव को अवशोषित करना बंद कर देती है। यह स्थिति अक्सर मस्तिष्क के ऊतकों में किसी बीमारी या चोट आदि के कारण होने वाली सूजन व लालिमा आदि से जुड़ी होती है।
3-अधिक बनना- यह स्थिति बहुत ही कम मामलों में होती है, जिसमें सेरेब्रॉस्पाइनल अवशोषित होने के मुकाबले उससे बनने की गति बढ़ जाती है।
कुछ मामलों में जलशीर्ष बच्चे के पैदा होने से पहली विकसित हो जाता है। यह निम्न स्थितियों के परिणाम स्वरुप होता है-
1-एक प्रकार का जन्म दोष जिसमें रीढ़ की हड्डियों के कॉलम एक दूसरे के करीब ना हो।
2-एक प्रकार की अनुवांशिक असामान्यता।
3-कुछ प्रकार के इन्फेक्शन जो गर्भावस्था के दौरान होते हैं, जैसे रूबेला कुछ अन्य जटिलताएं जिनमें समय से पहले जन्म लेना आदि जैसी जटिलताएं भी शामिल है-
1-ब्रेन हेमरेज
2-मेनिनजाइटिस जैसे रोग
3-ट्यूमर
4-रीढ़ की हड्डियों में हेमरेज।
जलशीर्ष के लक्षण -Symptoms of hydrocephalus –
1-सिर दर्द।
2-मतली और उल्टी।
3-धुंधला दिखना।
4-शरीर को स्थिर ना रख पाना।
5-आंखों से फोकस करने में कठिनाई।
6-टांगों में कमजोरी।
7-अचानक से गिरना।
8-पैर घसीट कर चलना।
9-बार-बार पेशाब आना।
10-मूत्राशय की मांसपेशियों संबंधित समस्याएं।
11-अत्यधिक नींद आना।
12-शरीर के हिलने डुलने की क्षमता बिगड़ जाना।
13-सोचने, समझने और याद रखने की क्षमता प्रभावित होना।
14-पेशाब करने की तीव्र इच्छा होना।
15-चलते समय अचानक से अटक जाना ।
जलशीर्ष के बचाव-
Prevention of Hydrocephalus :
1-माता पिता की ठीक से जांच व अल्ट्रासाउंड आदि जैसे टेस्ट करके उन सभी जन्म दोष व आनुवंशिक असामान्यताओं का पता लगाया जा सकता है, जो जलशीर्ष का कारण बन सकते हैं।
2-शिशु या बच्चे के सिर को चोट आदि से बचा कर रखना ।
3-सेफ्टी उपकरणों का इस्तेमाल करना जैसे बाइक चलाते समय सिर आदि पर चोट लगने से बचाने के लिए हेलमेट लगाकर रखना। गाड़ी चलाते समय सीट बेल्ट का इस्तेमाल करने से भी सिर आदि पर चोट लगने के खतरे को कम किया जा सकता है।
4-छोटे बच्चों को गाड़ी की सीट पर सुरक्षित रूप से बैठा कर रखना चाहिए।
5-जलशीर्ष से जुड़े किसी प्रकार के रोग या इंफेक्शन आदि का समय पर उचित इलाज करवा लेने से भी यह विकार होने का खतरा कम हो जाता है।
6-इससे जुड़े इंफेक्शन या किसी बीमारी से बचाव करने वाले टीकाकरण करवा लेने से भी जलशीर्ष होने का खतरा कम हो जाता है । मेनिनजाइटिस आदि जैसे संक्रमण से बचाव करने के लिए टीकाकरण करवाने से ऐसे संक्रमण विकसित होने का खतरा कम हो जाता है, जो तंत्रिका तंत्र को क्षति पहुंचाता है और जलशीर्ष होने का खतरा बढ़ा देता है।
7-ऐसा माना जाता है कि गर्भावस्था के पहले 3 महीनों और गर्भावस्था से पहले फोलिक एसिड लेने से भी जलशीर्ष होने का खतरा कम हो जाता है।