स्क्लेरोडर्मा के कारण, लक्षण और बचाव । What is Scleroderma ! Scleroderma in hindi
स्क्लेरोडर्मा क्या है?
What is a Scleroderma?
त्वग्काठिन्य (स्क्लेरोडर्मा) एक असाधारण स्थिति है , जिसमें शरीर में कुछ जगहों से त्वचा मोटी बन जाती है । कभी-कभी इसके कारण शरीर के अंदरूनी अंगों और रक्त वाहिकाओं संबंधित समस्याएं भी होने लग जाती हैं। यह एक दीर्घकालिक रोग है जो लंबे समय तक रहता है और कभी कभी जीवन भर रेहता है।
स्क्लेरोडर्मा के कारण व जोखिम कारक-scleroderma causes & Risk Factors :
डॉक्टरों के स्क्लेरोडर्मा के कारण का पता नहीं होता है। यह स्वयं प्रतिरक्षित रोगों के समूह का रोग है। ऐसा तब होता है जब आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली शरीर के किसी अंग या त्वचा को हानिकारक समझ कर उसको क्षति पहुंचाने लग जाती है। इस स्थिति प्रभावित अंग या त्वचा में सूजन व लालिमा हो जाती है ।
सामान्य तौर पर प्रतिरक्षा प्रणाली का काम शरीर में घुसने वाले या संक्रमण फैलाने वाले किसी भी रोगाणु से लड़ना होता है ।जब प्रतिरक्षा प्रणाली को शरीर में कुछ ऐसा मिलता है जो शरीर का नहीं होता है तो यह उस पर प्रतिक्रिया करने लग जाती है और जब इंफेक्शन खत्म हो जाता है तो यह शांत हो जाती है।
ऐसा भी माना जाता है कि जब प्रतिरक्षा प्रणाली का कोई हिस्सा अधिक उत्तेजित या नियंत्रण के बाहर हो जाता है ।तो स्क्लेरोडर्मा रोग हो जाता है। ऐसी स्थिति में संयोजित ऊतकों मैं मौजूद कोशिकाएं अधिक मात्रा में कोलेजन बनाने लग जाती हैं।
कॉलेजन एक मुख्य संरचनात्मक प्रोटीन होता है जिससे ऊतक बनने लग जाते हैं। डॉक्टरों के पास इस बारे में भी कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है कि इतनी अधिक मात्रा में कोलेजन बनने का कारण क्या है।स्क्लेरोडर्मा के सटीक कारण का अभी तक पता नहीं चल पाया है।
स्क्लेरोडर्मा के लक्षण क्या हैं? Scleroderma symptoms:
1- त्वचा सख्त व मोटी हो जाना।
2-उंगली उंगली के सिरों पर त्वचा पतली पड़ने लगना।
3-हाथों व पैरों की उंगलियां सफेद पड़ जाना फिर ठंड के संपर्क में नीली पड़ जाना और फिर खून का बहाव शुरू होने पर लाल हो जाना (इस इस स्थिति को रेनॉड
फिनोमिनॉन कहा जाता है। यह रोग रक्त वाहिकाएं संकुचित हो जाने के कारण होता है ) ।
4- थकान व मांसपेशियों में कमजोरी
5- निगलने में कठिनाई।
6- सांस फूलना या एक्सरसाइज करने की क्षमता कम होना।
7- हाई ब्लड प्रेशर
8- म्यूकस मेंम्बरेन व मुंह सूखना।
9- हाथों व पैरों में सूजन आना खासकर सुबह के समय।
10- त्वचा के नीचे छोटे-छोटे सफेद रंग की गांठ बनना (त्वचा के नीचे कैल्शियम जमा होना)।
11- सीने में जलन और अपच ।
12- भूख कम लगना.
स्क्लेरोडर्मा से बचाव:-
Prevention of Scleroderma?
1-एक्टिव रहे-व्यायाम करने से आपका ब्लड सरकुलेशन ठीक होता है, शरीर लचीला हो जाता है और अकड़न कम हो जाती है।
2-धूम्रपान ना करें:- सिगरेट आदि पीने से रक्त वाहिकाएं सिकुड़ने लग जाती हैं जिससे रेनॉड डिजीज जेसी समस्याएं और बदतर होने लग जाती है । धूम्रपान करने से रक्त वाहिकाएं स्थायी रूप से भी संकुचित हो सकती हैं ।
3-जुकाम से बचें: ठंडे वातावरण से अपने हाथों को बचा कर रखने के लिए दस्ताने पहन कर रखे, यहा तक की फ्रिज से कुछ निकालने के लिए भी दस्ताने पहन ले। यदि आप ठंड में बाहर है, तो मोटे कपड़े पहने और अपने चेहरे को गर्म कपड़ों से ढक कर रखें।
4-रेनॉड फिनोमिनन को नियंत्रित रखें:-जितना हो सके ठंडे वातावरण से बचें और अचानक से तापमान भी ना बदले अपने शरीर का गर्म रखें पैरों में जुराबे व हाथों में दस्ताने पहने।
5-अपनी त्वचा की देखभाल करें: अधिक शक्तिशाली डिटेजेट आदि का उपयोग ना करें, क्योंकि ये त्वचा को क्षति पहुंचा सकते हैं। त्वचा में इंफेक्शन वह सूखापन होने से बचाव रखने के लिए उसे साफ व नम रखें।
6-सिगरेट के धुए से बचें :- सिगरेट ना पिएं और सिगरेट पी रहे व्यक्ति के संपर्क में भी ना आए। क्योंकि सिगरेट का धुआं त्वचा में खून के बहाव को प्रभावित कर देता है।
7-तनाव को नियंत्रित करें:- शरीर को पर्याप्त मात्रा में आराम देकर रिलैक्स रखें । काम करने व आराम करने के समय को सही संतुलन में रखें ।आप इस बारे में डॉक्टर से भी पूछ सकते हैं।
8-स्वस्थ आहार खाएं:- एक बार में अधिक मात्रा में खाने की बजाएं थोड़ी-थोड़ी मात्रा में अधिक बार खाएं । इसकी मदद से निगलने में कठिनाई या फिर सीने में जलन संबंधी किसी समस्या से आराम मिल जाता है।