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Cataract ! मोतियाबिंद/सफेदमोतिया, मोतियाबिंद क्या है, मोतियाबिंद होने के कारण,

         मोतियाबिंद क्या है ? What is cataract ?


        इस रोग में आंख तथा लेंस या उसके आवरण अथवा दोनों ही धुंधले हो जाते हैं और उन पर एक पर्दा- सा आ जाता है। लेंस में इन्फेक्शन नहीं होता बल्कि लेंस फाइबर में धुंधलापन आ जाता है। लेंस के कठोर और धुंधला हो जाने से आंखों की रोशनी कम या बिलकुल समाप्त हो जाती है। आंखों की पुतली में सफेद दाना सा दखाई देता है। जिसे मोतियाबिंद कहते हैं इसे सफेद मोतिया भी जाना जाता है।


     मोतियाबिंद दृष्टि हीनता का सबसे बड़ा कारण है। हमारी आंखों के लेंस में धुंधलापन या सफेदी आ जाए तो उसे मोतियाबिंद कहते हैं। मोतियाबिंदु अधिकतर बुढ़ापे की वजह से होता है और यह 50 वर्ष की आयु में शुरू हो जाता है। इसकी वजह से आंखों की रोशनी धीरे-धीरे कम हो जाती है। यह दोनों आंखों में भी हो सकता है। तथा इसे पूरी तरह से पकने में कुछ महीने से लेकर कई साल लग जाते हैं। मोतियाबिंद आंखों की एक भयंकर बीमारी है। जिसमें हर वर्ष बड़ी संख्या में धुंधलापन पनपता है तथा अंधेपन की बीमारी से पीड़ित रोगियों की सबसे बड़ी संख्या मोतियाबिंद की वजह से होती है।


       मोतियाबिंद बुढ़ापे की एक बीमारी है। किंतु कभी-कभी कम उम्र के लोगों की आंखों में चोट लगने के बाद मोतियाबिंद हो जाता है। किसी किसी बच्चे की आंखों में तो जन्म से ही मोतियाबिंद होता है।


    मोतियाबिंद के कारण : Causes of Cataract:


  • आंखों में चोट लगने के कारण।
  • रोगी की अधिक उम्र हो जाने पर।     
  • अल्ट्रावायलेट चिकित्सा का अधिक प्रयोग।
  • रासायनिक पदार्थों के प्रयोग से।
  • करंट लग जाने से।
  • डायबिटीज के कारण।
  • भोजन में मुख्य तत्व जैसे विटामिन और प्रोटीन की कमी।
  • शरीर में कोई अन्य रोग होने पर।
  • तपते हुई सूरज की गर्मी।
  • कुछ लोगों में त्वचा रोग के कारण भी मोतियाबिंद हो जाता है।
  • जहरीली दवाइयों के प्रभाव से।


मोतियाबिंद के लक्षण :Symptoms of Cataract:

  • यह रोग एक या दोनों आंखों में धीरे-धीरे कई महीने या वर्षो  में उत्पन्न हो जाता है।   
  • आंखों के सामने काले काले धब्बे दिखाई देते हैं।
  • आंखों की रोशनी कम हो जाती है।
  • रोगी अगर एक चीज देखता है तो उसको अनेक चीज दिखाई देती है।
  • रोगी को रात में कई चांद दिखाई देते हैं।
  • प्रकाश को देखने पर चारों ओर नीली व हरी लाइने दिखाई देती है।
  • रोगी को रंग पहचानने में समस्या होती है।
  • लाल रंग सबसे आसानी से दिखाई देता है।
  • देखने में प्रत्येक वस्तु बड़ी दिखाई देती है।
  • कुछ रोगियों के मस्तिष्क में भी दर्द होता है।

    याद रहे – 

     कालामोतिया और मोतियाबिंदु अलग अलग है। दोनों की दशाएं अलग है। पर 30 वर्ष की आयु के बाद ही दोनों रोग होते हैं इसलिए अक्सर भूल होती है।

     मोतियाबिंदु बनना शुरू होने पर नजर धुंधली होने लगती है अर्थात पास के और दूर के दृश्य धुंधले दिखाई पड़ते हैं। शुरू में तो चश्मा लगने से साफ दिखाई देता है। पर मोतियाबिंद के बढ़ने के साथ-साथ चश्मे का नंबर भी बदल जाता है और एक अवस्था ऐसी आती है, जब रोशनी के अलावा कुछ दिखाई नहीं देता है।


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      मोतियाबिंद मुख्य रूप से दो प्रकार के होते हैं –

   1 – डेबलपमेंटल मोतियाबिंद :Deblpmental cataract:

      गर्भावस्था में यदि माता कुपोषण की शिकार हो जाए अथवा नवजात शिशु कुपोषण से पीड़ित रहे, तो इस प्रकार के मोतियाबिंदु की संभावना बनी रहती है। रूबेला नामक वायरस से संक्रमित गर्भवती स्त्री के नवजात शिशु में इस तरह की मोतियाबिंदु की संभावना अधिक रहती है। 

   2 – एक्वायर्ड मोतियाबिंद :Acquired Cataract:

       लेंस फाइवर्स के नष्ट होने के कारण एक्वायर्ड मोतियाबिंदु होता है। लेंस कोशिकाओं में पानी की मात्रा बढ़ जाने से लेंस का आकार बड़ा हो जाता है। घुलनशील प्रोटीन अघुलनशील प्रोटीन में परिवर्तित होने लगती है। जिससे आंखों में मोतियाबिंदु हो जाता है। 


      

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