Cervical spondylitis ! गर्दन के दर्द के कारण और लक्षण, cervical spondylitis in Hindi
सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस क्या है?What is cervical spondylitis?
उम्र के साथ या अन्य रोगों से हड्डियों में बदलाव आ जाते हैं यह बदलाव सर्वाइकल स्पाइन में भी आते हैं इसमें वर्टेब्रल डिस्क्स के बीच का स्थान कम हो जाने से रोगी गर्दन में दर्द महसूस करता है। जिसे सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस कहते हैं। यह दर्द अत्यधिक शारीरिक काम करने से भी होता है। दर्द इतनी तेज होता है कि रोगी बेचैन रहता है, रोगी अपनी गर्दन हिला भी नहीं सकता।
गर्दन की चाल सुचारू रूप से चलाने के लिए गर्दन में 32 जोड़े होते हैं। गर्दन के दर्द से होने वाली परेशानी चाल भी कम हो जाने से दैनिक कार्यो में अधिक रुकावट बनती है।
40 वर्ष से अधिक उम्र के व्यक्ति इसके अधिक शिकार होते हैं इन रोगियों में आरंभ में हल्का दर्द होता है यह दर्द सुबह के समय बढ़ जाता है। जो व्यक्ति सिर पर आदि वजन रखते हैं उन्हें यह दर्द होता है। गर्दन नीचे करके पढ़ने वाले बच्चे में भी यह दर्द पाया जाता है।
महिलाओं में कम उम्र में होने वाला गर्दन का दर्द रूमेटिक अर्थराइटिस का एक लक्षण हो सकता है।हाथ पैरों में सूजन व गर्दन मैं दर्द इन महिलाओं में समस्या और बढ़ा देती है। गर्दन के सभी जोड़ प्रभावित हो सकते हैं। ऐसे मरीजों में दर्द गर्दन के ऊपरी भाग में सिर के पिछले हिस्से में अधिक होता है। सिर के पिछले हिस्से में सुई चुभती है।
सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस के कारण:Causes of Cervical Spondylitis:
- सामान्य हड्डियों में बदलाव के कारण।
- गर्दन की टी.वी. भी दर्द का कारण होती है।
- जन्मजात विकृतियां कभी-कभी दर्द का कारण होती हैं।
- अगर गर्दन की ग्रंथियों में सूजन आ जाए तो यह दर्द का कारण बन जाती है।
- भारी बैग के वजन से बच्चों को सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस का खतरा हो सकता है।
- ऐसे लोग जो गर्दन के ज्यादा प्रयोग वाले कार्यों में लगे रहते हैं।
- लिखने पढ़ने का कार्य ऊंची तकिया लगा कर सोने वाले लोग।
- खराब सड़कों पर स्कूटर मोटरसाइकिल का ज्यादा प्रयोग करते हैं।
- सिर पर भारी वजन रखना।
रोग की शुरुआत गर्दन की स्पाइन वाली हड्डी में डिक्स से होती है। दो हड्डियोंं के बीच का अंतराल सर्वप्रथम कम होना शुरू होता है और साथ ही थोड़ी हड्डी बढ़ना शुरू हो जाती है।
सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस के लक्षण :Symptoms of cervical spondylitis:
- गर्दन में दर्द प्रारंभ में तो रुक-रुक कर होता है परंतु बाद में निरंतर रहने लगता है
- यह दर्द काम करते समय ज्यादा और धीमी गर्दन रखने से तकलीफ होती है।
- लेटने से दर्द कम हो जाता है साथ ही दर्द निवारक दवाएं और सिखाई भी दर्द में राहत लाती है।
- गर्दन की सभी मांसपेशियों अकड़ जाती हैं।
- गर्दन में तनाव रहता है कोई काम करने पर खत्म हो जाता है।
- कभी-कभी रोगी को चक्कर भी आते हैं।
- रोगी अपनी गर्दन आगे करके रखता है।
- गर्दन को हिलाने पर दर्द होता है।
- गर्दन पर पीछे की तरफ मांसपेशियों पर दबाने पर दर्द होता है।
- गर्दन घुमाने पर आवाज आती है।
- सिर दर्द रहता है जो पीछे के हिस्से में अधिक होता है।
- कंधों में हल्का भारीपन रहता है।
- कभी-कभी कंधों में अत्यधिक दर्द होता है।
- हाथों का सुन्न पड़ना या उनमें जान न रहना।
- रोगी के हाथ कांपते हैं।
- हाथों में झनझनाहट होती है।