Axorexia ! भोजन खाने की इच्छा न होना । Anorexia in Hindi,

    एनोरेक्सिया क्या है ? What is anorexia?


       रोगी को भोजन खाने की कोई इच्छा नहीं होती, स्वादिष्ट भोजन होने पर भी रोगी का मन भोजन के लिए नहीं करता। रोगी खाना छोड़ देता है। रोगी को ऐसा अनुभव होता है जैसे कि उसे खाने से नफरत हो गई हो। खाना सामने होने पर भी रोगी खाना नहीं खाता, जिस कारण रोगी कमजोर होता चला जाता है।



     एनोरेक्सिया के कारण : Causes of anorexia:


       इस रोग में प्रमुख कारणों के अंतर्गत मुख्य रूप से पेट की गड़बड़ी अथवा पेट के विकारों से उत्पन्न समस्या परिस्थितियों को दोषी मानना ही उचित है। गैस्ट्रिक समस्या, कैंसर, हेपेटाइटिस, खून की कमी आदि प्रमुख कारण हो सकते हैं। अत्यधिक चिंता, भय तथा क्रोध भी इस रोग को उत्पन्न करने में सहायक है। निमोनिया, सर्दी, खांसी, बुखार, जुखाम, मलेरिया, खसरा, आंतों की सूजन आदि के कारण भी एनोरेक्सिया हो जाता है।


      इसके अलावा नींद न आना, पेट में घाव, गैस्ट्रिक अल्सर, कैंसर जैसे प्राणघातक रोगे कारण भी भोजन खाने की इच्छा नहीं होती है। कभी-कभी परीक्षा में फेल हो जाने के कारण भी युवा वर्गों में  खाने की इच्छा नहीं रहती, जिस कारण उनके मानसिक भावों का नाश होने लगता है। व्यापार आदि में अचानक घाटा पड़ जाना या किसी करीबी के अचानक बिछड़ जाने के कारण भी यह समस्या उत्पन्न हो जाती है। सिजोफ्रेनिया के रोगी भी कभी कभी खाना पीना छोड़ देते हैं। 


  • कॉन्स्टिपेशन हो जाने पर रोगी को भूख नहीं लगती है।     
  • बुखार हो जाने पर यह किसी तरह के संक्रमण के कारण भी भूख नहीं लगती।
  • लंबे समय तक शरीर में कोई रोग रहने पर।
  • क्रोध या चिंता आदि के कारण।
  • लीवर या पेट की खराबी के कारण।
  • गुर्दे व हृदय रोग के कारण।
  • अधिक कार्बोहाइड्रेट वाले भोजन लेने से।
  • शरीर में विटामिन बी की कमी के कारण।
  • नींद नहीं आने के कारण।
  • शारीरिक और मानसिक थकावट के कारण।
  • अत्यधिक अल्कोहल व धूम्रपान के कारण लीवर पर इसका बुरा प्रभाव पड़ता है। जिस कारण रोगी की भूख कम हो जाती है।

   एनोरेक्सिया के लक्षण : Symptoms of anorexia:

    
  • मुंह का स्वाद कड़वा रहता है।
  • थोड़ा खाने के बाद पेट भरा सा प्रतीत होता है।
  • खाना गले से नीचे नहीं उतरता है।
  • मुंह से दुर्गंध आती रहती है।
  • रोगी को खट्टी डकार आती है। 
  • रोगी के शरीर का खून कम हो जाता है।
  • पेशाब की मात्रा बहुत कम हो जाती है।
  • भूख लगने पर भी खाने में असमर्थ रहता है।
  • शरीर का बाहर लगातार गिरता जाता है।
  • कब्ज की शिकायत बनी रहती है।
  • ब्लड प्रेशर कम रहता है।


     यदि रोगी भोजन की सूक्ष्म मात्रा भी खा लेता है तो ऐसा लगता है जैसे उसने कितना अधिक भोजन खा लिया हो व्यर्थ ही पेट फूलना, खट्टी खट्टी डकार आना, हर चीज से दिल भरा रहता है, मुंह में पानी भरा रहता है, अत्यधिक कमजोरी आ जाती है, थकावट बनी रहती है, खाना खाते ही उल्टी आ जाती है आदि लक्षण बने रहते हैं। लंबी बीमारी की दशा में वजन में भी कमी आदि लक्षण रोगी में पाए जाते हैं। 

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     इस रोग की अंतिम अवस्था अत्यंत खतरनाक तथा घातक होती है इस अवस्था में रोगी का शरीर ठंडा पड़ जाता है और वह धीरे-धीरे नीला पड़ने लगता है विशेष कर आंखें नीली दिखाई देने लगती है। नब्ज कभी धीमी तो कभी बहुत तेज चलती है। ऐसी स्थिति में नब्ज पकड़ में नहीं आती है। चिकित्सक के जब तक रोग समझ में आता है। तब तक रोगी की मृत्यु हो जाती है।

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