Gas Trouble ! गैस की तकलीफ । गैस की समस्या के कारण और लक्षण । Gas Trouble in Hindi

   गैस की परेशानी क्या है ? What is the problem of gas?


     गैस की समस्या कोई स्वतंत्र रोग नहीं है यह पाचन तंत्र की कमजोरी से उत्पन्न होने वाला रोग है। पाचन क्रिया कमजोर हो जाने पर भोजन ठीक तरह से नहीं पच पाता रोगी को हमेशा कब्ज की शिकायत बनी रहती है तब गैस की समस्या उत्पन्न होती है। गैस अधिक मात्रा में बनने पर वह नीचे से नहीं निकल पाती है जिस कारण वह ऊपर को आ जाती है और ऊपर को चढ़ी हुई गैस जिन जिन आंखों तक पहुंचती है उन्हें प्रभावित कर देती है।



     यदि आहार को ठीक से ने जबाया जाए तो मुंह में लार के कारण कार्बोहाइड्रेट पदार्थ का जो पाचन होता है वह नहीं हो पाता और वह बिना पचे ही रह जाता है साथ ही पाचन रसों के अभाव में पेट में प्रोटीन का भली-भांति पर्याप्त पाचन नहीं हो पाता है और इससे गैस पैदा होती है प्रोटीन में अधिकांश गंधक होता है अतः वह गैस उत्पन्न करता है। लीवर रस के अभाव में चर्बी का पाचन नहीं हो पाता और चर्बी ने पचने के कारण सड़ने लगती है। जिसमें दुर्गंध आने लगती है इससे गैस पैदा होती है।


  गैस बनने के कारण : Reasons for gas formation:


  • आजकल लोगों में रूखा आहार सेवन करने की प्रवृत्ति अधिक देखने में आ रही है। सब्जी उबालकर खाई जाती है। रोटी पर भी घी नहीं लगाया जाता, खिचड़ी में भी घी नहीं डाला जाता, बिना तेल व घी के आहार से गैस बनती है।
  • पाचन का मुख्य आधार व्यायाम, कसरत और परिश्रम पर है जो व्यक्ति दिन भर आराम से रहते हैं और कोई परिश्रम या व्यायाम नहीं करते हैं। उनका पाचन तंत्र बिगड़ता जाता है। मेहनत नहीं करने पर आहार सही तरह से नहीं पच पाता। परिणामस्वरुप उसे गैस की समस्या का शिकार होना पड़ता है।
  • आजकल हमारा रहन-सहन बहुत ही अव्यवस्थित हो गया है। अधिकतर लोग अपने काम से देर से घर लौटते हैं। वे देर से भोजन करते हैं और रात को देर से सोते हैं। दूसरे दिन सुबह फिर उन्हें समय पर काम पर जाना पड़ता है। इस प्रकार व्यक्ति को पर्याप्त नींद नहीं मिल पाती है। जिस कारण रोगी की पाचन शक्ति कमजोर हो जाती है। जिससे वह आहार को पूर्ण तरह से नहीं पचा पाता इससे गैस का निर्माण होता है।
  • शाम के समय भोजन के बाद घूमना टहलना जितना फायदेमंद होता है। उतना ही दोपहर के भोजन के बाद कुछ देर लेटना और विश्राम करना आवश्यक होता है। आयुर्वेद में कहा गया है कि जो लोग भोजन के बाद तुरंत ही अपने काम पर निकल पड़ते हैं वह वास्तव में मृत्यु के पीछे दौड़ते हैं।
  • शहर में रहने वाले अधिकतर लोग दोपहर का भोजन टिफिन या लंच बॉक्स में क्या करते हैं। यह टिफिन या लंच बॉक्स ठंडा हो जाता है। ऐसे भोजन करने से गैस की तकलीफ होती है।
  • मानसिक तनाव भी गैस की तकलीफ को जन्म देता है मानसिक कारणों से भूख मर जाती है। इस स्थिति में किया गया भोजन कभी कभी नहीं पच पाता है और गैस पैदा हो जाती है।
  • ऐसे व्यक्ति जो भोजन जल्दबाजी में करते हैं ठीक तरह से चबाकर नहीं करते उन्हें अक्सर गैस की शिकायत रहती है।
  • कुछ लोग खाना खाने के साथ बहुत सारा पानी पी लेते हैं तो ऐसे लोगों को अक्सर गैस की समस्या रहती है।

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  गैस के लक्षण : Symptoms of gas:

  
  • गैस से पीड़ित रोगी को दुर्गंधी तो वायु निकलती रहती है।
  • किसी किसी गैस के रोगी को हिचकी भी आती है हिचकी डकार का ही एक रूप है यदि रोगी अधिक मात्रा में हिचकी आनी शुरू होती है तो वह भी गैस का एक रूप है।   
  • गैस के कारण रोगी के सीने में जलन होती है।
  • रोगी को घबराहट पैदा हो जाती है।
  • सीने में दर्द होता है।
  • गैस की तकलीफ के कारण हृदय रोग के आक्रमण का आभास होता है।
  • रोगी को नींद नहीं आती।
  • यदि सीने से ऊपर सिर में गैस पहुंच जाती है तो ऐसे में रोगी का सिर भारी भारी लगने लगता है। सिर जकड़ जाता है उस में तेज दर्द होता है रोगी को बेचैनी रहती है।
  • आतो से गड़गड़ाहट की आवाज आती है।
  • गैस के कारण रोगी को पेशाब के लिए बार बार जाना पड़ता है। पूरा पैशाब एक बार में नहीं होता पेशाब करने के लिए जोर लगाना पड़ता है।
  • रोगी को चक्कर आने लगते हैं।


  • सांस लेने में कठिनाई होती है।
  • रोगी को उल्टी होती है।
  •  मुंह में छाले हो जाते हैं।
  • हाथ पैरों में दर्द रहता है।
  • रोगी को खट्टी डकार आती हैं।
  • मुंह में पानी आता रहता है।
  • मुंह का स्वाद कड़वा हो जाता है।
  • मुंह से लार टपकती रहती है।

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