ब्रोंकाइटिस के कारण,लक्षण और बचाव । bronchitis in Hindi,


 ब्रोंकाइटिस क्या है।What is bronchitis


    ब्रोंकाइटिस उन 10 स्थितियों में से एक है जिसके लिए लोग चिकित्सा लेते हैं। ब्रोंकाइटिस में श्वास नलियों या मुंह और नाक और फेफड़ों के बीच के हवा के मार्ग सूज जाते हैं। ब्रोंकाइटिस से पीड़ित लोगों को फेफड़ों में हवा और ऑक्सीजन लेने की क्षमता कम हो जाती है। यह सूजन वायरस, बैक्टीरिया, धूम्रपान करने या रासायनिक प्रदूषण या धूल में सांस लेने के कारण हो सकती है। जब श्वसन नालियों की लाइनिंग के उत्तक की कोशिकाएं एक निश्चित मात्रा से ज्यादा उत्तेजक हो जाती हैं तो उनके भीतर मौजूद छोटे बाल , जो आमतौर पर प्रदूषित पदार्थों को रोकते हैं, काम करना बंद कर देते हैं जिससे स्वसन नालियां बलगम से भरकर और अधिक उत्तेजक हो जाती हैं। ब्रोंकाइटिस से पीड़ित लोगों को अक्सर गाढ़े बलगम वाली खांसी होती है जिसका रंग फीका हो सकता है।

लगभग 90% लोग ब्रोंकाइटिस में चिकित्सक सलाह देते हैं।


ब्रोंकाइटिस के प्रकार:-Types of Bronchitis in Hindi


ब्रोंकाइटिस दो प्रकार के होते हैं-


1-ए क्यूट ब्रोंकाइटिस-एक क्यूट ब्रोंकाइटिस से गले के पिछले हिस्से में भूख के उत्पादन के साथ या उसके बिना खांसी या उत्तेजना होती है। आमतौर पर यह बैक्टीरिया के संक्रमण के परिणाम स्वरुप या प्रदूषित वायु या रासायनिक दुबे द्वारा श्वसन नली की लगातार उत्तेजना से सर्दी या ब्लू के बाद होता है। इसमें थोड़ा बुखार हो सकता है जो कुछ दिनों में से सप्ताह तक रहता है और अक्सर बुखार के साथ खांसी भी होती है जो कुछ आप तो तक रह सकती है। बच्चों की छोटी श्वसन नली की वजह से बच्चों में अक्सर ब्रोंकाइटिस अधिक होता है। बुजुर्गों में भी यह हो सकता है लेकिन इससे आम तौर पर कोई समस्या नहीं होती।

2-क्रॉनिक ब्रोंकाइटिस-क्रॉनिक ब्रोंकाइटिस एम्फीसीमा के साथ होता है जो क्रॉनिक प्रतिरोधी स्वसन संक्रमण बन जाता है। इसमें मरीज की हालत खराब हो जाती है उसे सांस लेने में कठिनाई और शारीरिक थकावट हो सकती है तथा मरीज को कृतिम ऑक्सीजन की आवश्यकता भी हो सकती है। इसमें बुखार भी हो सकता है। इसके अलावा खांसी 3 महीने और अधिक समय के लिए रहती है। वायु मार्ग में चोट के कारण और अधिक स्थाई ब्रोंकाइटिस ही हो सकता है।


ब्रोंकाइटिस के कारण:-

Bronchitis causes in Hindi


एक्यूट ब्रोंकाइटिस के कारण:-


एक्यूट ब्रोंकाइटिस के कारण वायरल और बैक्टीरिया संक्रमण, पर्यावरणीय कारक और अन्य फेफड़ों की स्थितियां होती है।

1-उत्तेजक पदार्थ-उत्तेजक पदार्थों जैसे -धुआ,धुंध, रासायनिक धुएं में सांस लेने से आपकी वायु-नली  में सूजन पैदा कर सकता है।

2-वायरल संक्रमण-वायरस 85 से 95% बालिगों में एक्यूट ब्रोंकाइटिस करते हैं। वह वायरस जो आम सर्दी या फ्लू करते हैं, तीव्र ब्रोंकाइटिस भी कर सकते हैं।

3-बैक्टीरिया का संक्रमण-दुर्लभ मामलों में ब्रोंकाइटिस के वायरल संक्रमण के बाद बैक्टीरियल ब्रोंकाइटिस विकसित हो सकता है। जिसमें निमोनिया और बोडे्र्टेला पेरटसिस (जो काली खांसी करता है) जैसे बैक्टीरिया द्वारा हो सकता है।


क्रॉनिक ब्रोंकाइटिस के कारण-


क्रॉनिक ब्रोंकाइटिस के कई कारण हो सकते हैं, लेकिन इसका मुख्य कारण सिगरेट का धुआं है।

1-कहीं सांस लेने की परेशानियां हैं जैसे धुंध, औद्योगिक प्रदूषण

2-बैक्टीरियल संक्रमण जो एक्यूट ब्रोंकाइटिस करते हैं, क्रॉनिक ब्रोंकाइटिस भी कर सकते हैं अगर लोग बार-बार संक्रमण एजेंटों के संपर्क में आए हैं।



ब्रोंकाइटिस के लक्षण-

Bronchitis Symptoms in Hindi 


एक्यूट ब्रोंकाइटिस के लक्षण

एक्यूट ब्रोंकाइटिस एक द्रढ़ खांसी है। यह खांसी तब तक रहती है जब तक आपके ब्रोंकाइल नलिया ठीक नहीं होती ‌ और सूजन कम नहीं होती। 50% रोगियों को खांसी 3 सप्ताह से कम समय तक रहती है। लेकिन 25% रोगियों के लिए यह 1 महीने से अधिक समय तक रहती है।इसमें आपको जुकाम और फ्लू के लक्षण भी हो सकते हैं जैसे-1-गले में खराश

2-उल्ट

3-दस्त

4-नाक में जमावट या ना का बहना

5-थकान

6-बुखार

7-शरीर में दर्द

एक्यूट ब्रोंकाइटिस के अन्य लक्षण भी है जैसे-खरखराहट, सीने में जकड़न या दर्द, हल्का बुखार और सांस की तकलीफ

क्रॉनिक ब्रोंकाइटिस के लक्षण-

1-खरखराहट(सांस लेते समय सिटी की ध्वनि होना)

2-खांसी जो बलगम का उत्पादन करती है और जिस में खून भी आ सकता है

3-बार-बार श्वसन संक्रमण होना जिससे लक्षण बिगड़ते हैं।

4-थकान होना

5-पैर की सूजन जो दोनों तरफ को प्रभावित करती है।


ब्रोंकाइटिस से बचाव:-Prevention from bronchitis: –

1-लाल मिर्च, करी पत्ता और अन्य मसालेदार खाद्य पदार्थ जो आपकी आंखों और नाक में पानी लाते हैं, आपके बलगम के स्राव को पतला कर सकते हैं।

2-धूम्रपान करने और पर्यावरण में मौजूद तंबाकू के धुएं के संपर्क में आने से बचें।

3-वायरल संक्रमण के फैलाव को सीमित करें

4-नम हवा में सांस लेने से बलगम पतला हो जाता है और उसे फेफड़ों से बाहर निकालना आसान हो जाता है।

5-पानी पीने से भी फेफड़ों में मौजूद बलगम को पतला करने में मदद मिलती है


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