Chilblains : हाथ, पैरों की उंगलियों की सूजन ! Chilblains in Hindi
बिवाई क्या है? What is Chilblains in Hindi ?
बिवाई या चिलब्लेंस एक ऐसी स्थिति है, जो त्वचा के अत्याधिक ठंडे तापमान के संपर्क में आने के कारण होती है। जब त्वचा अत्यधिक ठंडे तापमान में आती है , तो प्रभावित त्वचा में उनके सरकुलेशन की सामान्य प्रक्रिया प्रभावित हो जाती है जिसके परिणाम स्वरूप बिवाई हो जाती है। इसमें सबसे पहले त्वचा में खुजली शुरू होती है उसके बाद लालिमा व सूजन आती है। बिवाई में त्वचा में छेद हो जाता है इसलिए संक्रमण होने का खतरा भी बढ़ जाता है। बिवाई आमतौर पर हाथों पैरों की उंगलियों और कान आदि पर अधिक देखा जाता है। जब तापमान बर्फ जमने जैसा हो उस दौरान वातावरण में नमी होने व तेज हवा चलने पर ठंड के संपर्क में आई हुई त्वचा प्रभावित हो सकती है।
बिवाई के कारण व जोखिम कारक-Chilblains causes and risk factors ?
ठंडे वातावरण में शरीर का तापमान भी थोड़ा कम हो जाता है। शरीर प्राकृतिक रूप से त्वचा में खून भेजने की मात्रा में थोड़ी कमी कर देता है, ताकि वह मस्तिष्क, ह्रदय और गुर्दों के लिए गर्म खून बचा कर रख सके।
बिवाई तब विकसित होती हैं, जब ठंड की वजह से त्वचा के नीचे की छोटी छोटी रक्त वाहिकाएं संकुचित हो जाती हैं। रक्त वाहिकाएं संकुचित हो जाने के कारण ठंड से प्रभावित क्षेत्र में पर्याप्त घूमने नहीं जा पाता है और प्रभावित त्वचा उत्तक को में अन्य द्रवों का रिसाव होने लग जाता है। त्वचा का ठंड के प्रति सामान्य प्रतिक्रिया देने के कारण प्रभावित क्षेत्र के उत्तको में द्रवों का रिसाव होने लग जाता है। यह स्थिति हर व्यक्ति को नहीं होती है क्योंकि यह शरीर की ब्लड सरकुलेशन क्षमता पर निर्भर करता है। इसके अलावा नम हवा युक्त स्थितियां आहार संबंधी कारक में हार्मोन असंतुलन भी बिवाई होने में मदद करने वाले कारक बन सकते हैं। यदि त्वचा बहुत अधिक ठंडी है और फिर अचानक से अत्याधिक गर्मी के संपर्क में आती है इसके परिणाम स्वरूप भी बिवाई हो सकती है।
बिवाई होने का खतरा कब बढ़ता है?
1-त्वचा को कपड़ों से ढक कर ना रखना
2-ब्लड सरकुलेशन ठीक से काम ना कर पाना
3-लिंग-पुरुषों के मुकाबले महिलाओं में बिवाई होने का खतरा अधिक रहता है
4-शरीर का तापमान से कम भजन होना
5-वातावरण व मौसम
6-प्रतिरक्षा प्रणाली संबंधी कोई विकार होना
7-रेनॉड रोग होना
ठंड से उंगलियों में सूजन के लक्षण-Chilblains symptoms :
जिन लोगों में बिवाई होने का खतरा अधिक होता है, उनको ठंड शुरू होते ही अपने हाथों में पैरों में जलन व खुजली अनुभव होने लग जाती है। गर्मी के संपर्क में आने पर जलन व खुजली तीव्र हो जाती है। प्रभावित क्षेत्रों में लालिमा में सूजन भी देखी जा सकती है और कुछ गंभीर मामलों में त्वचा की ऊपरी सतह क्षतिग्रस्त हो जाती है और घाव बन जाते हैं।
इसके अलावा बिवाई मैं कुछ अन्य लक्षण भी विकसित हो सकते हैं जैसे:-
1-त्वचा के छोटे से हिस्से में खुजली में लालिमा
2-त्वचा पर छाले या फफोले बन्ना
3-त्वचा में सूजन आना
4-त्वचा में जलन महसूस होना
5-त्वचा का सामान्य रंग बदलकर हल्का लाल या नीला हो जाना और साथ में प्रभावित हिस्से में दर्द होना।
बवाई से बचाव-Prevention of Chilblains
बिवाई होने से कैसे रोकथाम करें?
जिन लोगों को ठंड के संपर्क में आने से त्वचा में सूजन होने लग जाती है, उनको अपने हाथों में पैरों का तापमान कर रखना चाहिए ताकि बिवाई होने के खतरे को कम किया जा सके। इसके अलावा कुछ अन्य तरीके भी हैं, जिनकी मदद से बिवाई होने के खतरे को कम किया जा सकता है।
1-सिगरेट आदि में निकोटिन होता है, जो रक्त वाहिकाओं को संकुचित होने में मदद करता है इसीलिए सिगरेट को छोड़ देना चाहिए
2-घर में ऑफिस को नमी से मुक्त रखना चाहिए और ठंड के मौसम में हीटर का उपयोग करना चाहिए
3-ठंड के मौसम में गर्म कपड़ों के साथ उचित रूप से गर्म दस्ताने में जुराबे पहने चाहिए और उचित साईंज के जूते पहनने चाहिए
4-घर के अंदर मेहनत वाले व्यायाम करने से कुछ समय तक शरीर गर्म रहता है
5-जो दवाई रक्त वाहिकाओं को संकुचित करती हैं उन्हें ना लें
6-अधिक ठंडे वातावरण में कई कपड़े पहनने और सुनिश्चित कर लें कि आप को अधिक कपड़ों से आरामदायक महसूस हो रहा है
7-नहाने या पैर धोने के बाद अपने पैरों को अच्छे से सूखा ले
8-रोजाना थोड़ी बहुत एक्सरसाइज करते रहे जैसे चलना
9-यदि आप कोई ऐसा काम करते हैं इसमें आपके हाथ नम रहते हैं तो आपको वाटरप्रूफ दस्ताने का इस्तेमाल करना चाहिए
10-अपने हाथों को हल्के गर्म पानी में डुबोकर रखना ऐसा करने से हाथों का तापमान बढ़ सकता है।