उदरशूल ( colic ) के कारण, लक्षण और बचाव । Colic in Hindi

 

उदरशूल क्या है ?What is colic ?


कोलिक या उदर शूल एक ऐसी स्थिति है इसमें स्वस्थ शिशु लगातार बहुत तेज रोता रहता है या परेशान रहता है। यह स्थिति बच्चे के माता-पिता के लिए भी काफी परेशान कर देने वाली होती है, क्योंकि कुछ भी करने से बच्चा रोना बंद नहीं करता।कोलिक की समस्या ज्यादातर डेढ़ महीने के बच्चे को होती है और तब तक रहती है जब तक बच्चा 3 या 4 महीने का नहीं हो जाता। वैसे तो कोलिक अपने आप ठीक हो जाता है,लेकिन ऐसी स्थिति में बच्चे का ख्याल रखना माता-पिता के लिए बहुत स्ट्रेस भरा होता है।



कोलिक के कारण :Causes of colic:

डॉक्टरों को उदरशूल या कोलिक  के सटीक कारण का पता नहीं है, लेकिन उनके अनुसार यह शिशु के संवेदनशील स्वभाव और अपरिपक्व तंत्रिका तंत्र के परिणाम स्वरुप हो सकता है। यह सभी चीजें बच्चे को आसानी से रोने पर मजबूर कर सकती हैं और उन्हें चुप करवाना मुश्किल हो सकता है। जैसे ही शिशु विकसित होकर धीरे-धीरे बड़े होने लगते हैं, तो वे अपने रोने की आदत को भी कम कर देते हैं।

बहुत अधिक उत्तेजना भी उदरशूल का कारण बन सकती हैं।कोलिक से पीड़ित ज्यादातर बच्चों के रोने का कोई शारीरिक व मेडिकल कारण नहीं होता है।कोलिक के कारणों में निम्न भी शामिल हो सकते हैं:-

1-छोटे बच्चों को भोजन पचाने में मुश्किल होती है

2-कुछ उत्तेजक पदार्थों या उत्तेजनाओ के प्रति संवेदनशीलता

3-कुछ प्रकार के हार्मोन जो बच्चों में पेट दर्द या चिड़चिड़ापन का कारण बनते हैं

4-शिशु किसी प्रकार के खाद्य पदार्थों या फिर स्तन का पाउडर के दूध में मौजूद किसी प्रकार के प्रोटीन को शिशु द्वारा पचा ना पाना

5-अधिक खाना

6-भूख लगना

कोलिक के लक्षण-

Colic symptomes :

1-शिशु का बिना किसी कारण से रोना, शिशु इस दौरान गैस भी पास कर सकता है।

2-बच्चे के बार बार गंभीर रूप से रोने के कारण उसके स्तनपान करने के समय में भी बाधा आने लग जाती है।

3-चेहरे का रंग बदल जाना जैसे गोरे चेहरा लाल पड़ जाना।

4-रोजाना एक ही समय रोना खासतौर पर शाम के समय

5-रोना काम होने के बाद भी शिशु चिड़चिड़ा या परेशान दिखना

6-सोते समय शरीर में तनाव या खिंचाव लाना जैसे टांगों को उठाया सीधी करना

7-शिशु का बिना किसी कारण से रोना जिसके रोने के कारण डायपर गीला होना या भूख लगना ना हो

8-शिशु का लगातार रोना और इस तरह से चिल्लाते हुए रोना जैसे उसको लगातार दर्द हो रहा है। इस रोग में शिशु लगातार गंभीर रूप से रोता रहता है और ऐसी स्थिति में मां बाप उसके दर्द को शांत करने में कोई मदद नहीं कर पाते।



कोलिक से बचाव:-

Prevention of colic :

1-यदि आपका बच्चा बोतल पीने लगा है और उसको कोलिक है तो उसकी बोतल या निप्पल को बदल दे। ऐसा करने से दूध के साथ कम हवा शिशु के अंदर जा पाती हैं।

2-उनके रोने से पहले ही उनके पेशी फायर (कृतिम निप्पल) देकर उसे शांत करके रखें

3-स्तनपान करवाने के बाद बच्चे को डकार दिलाएं, ऐसा कर रहे के लिए शिशु को अपने कंधे से लगाकर उसकी पीठ को हल्के हल्के थपथपाएं।

4-बच्चे को स्तनपान या बोतल का दूध पिलाने के दौरान जितना हो सके उसके मुंह को ऊपर की तरफ और टांगों के नीचे की तरफ रखें।

5-शिशु पैदा होने के बाद कुछ हफ्तों तक उसकी त्वचा को जितना हो सके अपनी त्वचा के संपर्क में रखें, ऐसा करने से उसके बड़ा होने पर रोने का समय कम हो जाती है।

6-जब शिशु को भूख लगे उसे तब ही बोतल या स्तनपान करवाना चाहिए, उसे खिलाने पिलाने के लिए निश्चित समय रखने की जरूरत नहीं होती है।


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