वातस्फीति (एम्फसीमा) क्या है? । वातस्फीति (एम्फसीमा) के कारण और लक्षण ! emphysema in Hindi
वातस्फीति क्या है?
What is emphysema?
वातस्फीति फेफड़ों से संबंधित एक ऐसी स्थिति होती है जिसके कारण सांस फूलने लगती है। अंग्रेजी में इस रोग को एम्फसीमा के नाम से जाना जाता है। जो लोग वातस्फीति से ग्रस्त होते हैं। उनके फेफड़ों की हवा की थैलियां ग्रसित हो जाती है। समय के साथ-साथ इन थैलियों की अंदरूनी दीवार क्षतिग्रस्त होने लगती हैं और फिर फट जाती हैं। जिससे कई छोटी-छोटी थैलियां की जगह हवा की एक बड़ी थैली बन जाती है। इस स्थिति में फेफड़ों की सतह का क्षेत्र कम हो जाता है जिस कारण से आपके खून में पहुंचने वाली ऑक्सीजन की मात्रा भी कम हो जाती है।
वातस्फीति से ग्रस्त लोग जब सांस छोड़ते हैं तो उनके फेफड़ों की क्षतिग्रस्त थैलियों में पुरानी हवा हंसी रह जाती है जिससे नई और ऑक्सीजन युक्त हवा और में प्रवेश नहीं कर पाती।
वातस्फीति से ग्रस्त ज्यादातर लोगों को क्रॉनिक ब्रोंकाइटिस भी होता है। क्रॉनिक ब्रोंकाइटिस में फेफड़ों तक हवा पहुंचाने वाली नलियों में सूजन, लालिमा, जलन हो जाती है। जिससे गंभीर खांसी पैदा हो जाती हैं।
वातस्फीति (एम्फसीमा) के कारण :Causes of Emphysema:
वातस्फीति का मुख्य कारण लंबे समय से एयरबोर्न उत्तेजकों के संपर्क में आना होता है। इन उत्तेजकों में निम्न शामिल हो सकते हैं।
1-तंबाकू का सेवन करना
2-भांग पीना
3-केमिकल का धुंआ या धूल
4-वायु प्रदूषण
कुछ बहुत ही कम मामलों में वातस्फीति आलो मानसिक रूप से मिले एक विशेष प्रकार के प्रोटीन की कमी के कारण भी हो जाता है। यह विशेष प्रकार का प्रोटीन फेफड़ों की इलास्टिक जैसी संरचना को सुरक्षा प्रदान करता है।
1-सेकंड हैंड स्मोक-
इसे सैकेंड हैंड स्मोक के अलावा पैसिव स्मोकिंग नाम से भी जाना जाता है। जब किसी दूसरे व्यक्ति द्वारा दी गई सिगरेट या बीड़ी आदि से निकलने मेरे को आप अनजाने में सांस द्वारा खींच लेते हैं तो उसे सैकेंडहैंड स्मोक कहा जाता है। धूम्रपान करने वाले लोगों के पास रहना भी वातस्फीति विकसित होने के कारण है।
2-केमिकल या धूल आदि के संपर्क में आना-
यदि आप कुछ निश्चित प्रकार के केमिकल से निकलने वाले या भाप में सांस लेते हैं या फिर अनाज का पास लकड़ी और खनिज आदि की धुन में सांस लेते हैं तो आपके जोखिम के कारण बन जाते हैं।
3-उम्र-
वैसे तो वातस्फीति मैं फेफड़े धीरे-धीरे क्षतिग्रस्त होते हैं लेकिन जिन लोगों को तंबाकू से संबंधित
वातस्फीति होती है। उनको अक्सर 40 से 60 साल की उम्र के बीच में इसके लक्षण महसूस होने लगते हैं।
4-घर के अंदर या बाहर के प्रदूषण के संपर्क में आना-
घर के अंदर के उत्तेजक पदार्थों में सांस लेना जैसे जलने वाले ईधन से निकलने वाला धुआं और घर के बाहर का प्रदूषण जैसे कार से निकलने वाले धुएं में सांस लेना आदि भी जोखिम को बढ़ाता है।
वातस्फीति(एम्फसीमा) के लक्षण:-Symptoms of Emphysema: –
वातस्फीति बिना कोई लक्षण दिखाएं कई सालों तक शरीर में पड़ सकता है। वातस्फीति के सबसे मुख्य लक्षणों में सांस फूलना होता है जो धीरे-धीरे विकसित होता है। आप भी शारीरिक गतिविधियां छोड़ देते हैं। जिससे आपको सांस फूलने की समस्या होती हैं। ऐसे में इसके लक्षणों पर आपका ध्यान ही नहीं जाता। यह लक्षण तब तक आपके लिए समस्या नहीं बनता। जब तक यह रोजाना की गतिविधियों में हस्तक्षेप ना करें।
वातस्फीति के कारण आपको अंत में आराम करने के दौरान भी सांस फूलने की समस्या होने लगती है।
1-सीढ़ियां चढ़ने से भी आपके सांस फूलने लगती है
2-तनाव के साथ आपके होंठ व नाखून नीले रंग के होने लगते हैं।
3-मानसिक रूप से सचेत होने पर सांस फूलना
वातस्फीति(एम्फसीमा) के बचाव:-
Prevention of Emphysema :
वातस्फीति से बचाव रखने के लिए धूम्रपान न करें और धूम्रपान करने वाले से भी दूर रहें। यदि आप केमिकल के धोने या धूल आदि में काम करते हैं तो अपने फेफड़ों को बचाने के लिए मास्क आदि पहने।