मेर्गी के कारण, लक्षण और प्रकार । epilepsy in hindi ! What is epilepsy

 

मिर्गी क्या है?

What is epilepsy?


मिर्गी एक केंद्रीय तंत्रिका तंत्र संबंधी विकार है। इसमें मस्तिष्क में तंत्रिका कोशिका का गतिविधि बाधित हो जाती है । जिसके कारण दौरे या कुछ समय तक असामान्य व्यवहार उत्तेजना और कभी-कभी बेहोशी हो जाती है।

मिर्गी संक्रामक नहीं है और मानसिक बीमारियां मानसिक कमजोरी के कारण नहीं होती है कभी-कभी गंभीर दौरे के कारण मस्ती की क्षति हो जाती है लेकिन अधिकांश दौरे मस्तिष्क पर हानिकारक प्रभाव नहीं डालते हैं।बीमारी से होने वाली क्षति से लेकर असामान्य मस्तिष्क विकास तक मिर्गी के कई संभव कारण है। इसमें जेनेटिक्स भी एक भूमिका निभा सकता है।

ब्रेन ट्यूमर अधिक शराब पीने से होने वाली बीमारी अल्जाइमर रोग, स्ट्रोक  और दिल के दौरे सहित अन्य विकारों से मस्तिष्क को होने वाली क्षति के कारण भी मिर्गी विकसित हो सकती है अन्य कारणों में सिर की चोट जन्म के पूर्व ( गर्भावस्था के दौरान) की चोट और विषाक्त शामिल है।



मिर्गी के प्रकार:-

Types of Epilepsy:


दौरो के आधार पर मिर्गी के तीन प्रकार हैं जो इस बात पर निर्भर करते हैं कि मस्तिष्क के किस हिस्से पर मिर्गी की गतिविधि शुरू हुई है।

1-आंशिक दौरा-एक आंशिक दौरे का अर्थ है कि रोगी के मस्तिष्क के कुछ हिस्से में मिर्गी की गतिविधि हुई थी आंशिक दौरे के दो प्रकार होते हैं-

1-सरल आंशिक दौरा-इस दौरे की अवधि में रोगी जागरूक रहते हैं ज्यादातर मामलों में रोगी अपने परिवेश से भी अवगत रहते हैं भले ही दौरा बढ़ रहा हूं।

2-जटिल आंशिक दौरा-इसमें रोगी की चेतना खत्म हो जाती है। मरीज को आमतौर पर दौरे मस्तिष्क के दोनों हिस्सों में मिर्गी संबंधी गतिविधि होती है। जब दौरा बढ़ जाता है।  तो मरीज की चेतना खत्म हो जाती है।

2-सामान्य दौरा-एक सामान्य ही करता तब आता है जब मस्तिष्क के दोनों हिस्से में मिर्गी संबंधी गतिविधि होती है जब दौरा बढ़ जाता है तो मरीज की चेतना खत्म हो जाती है।

3-माध्यमिक सामान्य दौरे-

एक माध्यमिक सामान्य कृत बावरा तब पड़ता है जब मिर्गी संबंधी गतिविधि आंशिक दौरे के रूप में शुरू होती है। लेकिन फिर मस्ती के दोनों हिस्सों में फैल जाती है। जब दौरा बढ़ जाता है। तो मरीज अपनी चेतना खो देता है।

मिर्गी के लक्षण:-Symptoms of epilepsy: –


मिर्गी के मुख्य लक्षण दौरे पड़ना है अलग-अलग व्यक्तियों में इसके लक्षण दौरों के दौरान भिन्न भिन्न होते हैं।

1-फोकल दौरे-एक साधारण आंशिक दौरे में चेतना को कोई खास नुकसान नहीं होता इसके नियम लक्षण है-स्वाद,दृष्टि , श्रवण, स्पर्श इंद्रियों में बदलाव। चक्कर आना, अंगों में झनझनाहट महसूस होना इत्यादि।

2-जटिल आंशिक दौरे-इसमें जागरूकता या चेतना की क्षति शामिल है अन्य लक्षणों में निम्न है-एक तरफ नजर टिकाए रखना, कोई प्रतिक्रिया न करना, एक ही गतिविधि को बार-बार दोहराना इत्यादि।

3-सामान्य  दौरे-सामान्य दौरे में संपूर्ण मस्तिक शामिल होता है।एक तक घूमते रहने का कारण बनते हैं इस प्रकार के दौरे चटकारे लेना और आंखें जब काने जैसी गतिविधियों क बार-बार दोहराने का कारण बन सकते हैं आमतौर पर चेतना थोड़े समय के लिए लुफ्त भी हो जाती है।

4-टॉनिक दौरे-क्रॉनिक दौरों को ग्रैंड मॉल दौरे कहा जाता है इसके लक्षणों में शरीर में अकड़न,नियंत्रित, जीव को काटना, चेतना का लॉक होना शामिल है।

मिर्गी के कारण-Causes of epilepsy:


मिर्गी से पीड़ित लोगों में से लगभग आधे मरीजों में किसी विशेष कारण की पहचान नहीं होती है अन्य व्यक्तियों में विभिन्न कारणों के द्वारा हालात का पता लगाया जा सकता है।

1-जेनेटिक प्रभाव-वीडियो से चलते आ रहे मिर्गी के कुछ प्रकार महसूस किए गए दोनों या मस्तिष्क के प्रभावित हिस्से द्वारा वर्गीकृत होते हैं। इन मामलों में संभावना है कि यह एक जेनेटिक प्रभाव होता है।

2-सिर में चोट-एक कार दुर्घटना में या किसी अन्य घटना के कारण सिर में लगी चोट मिर्गी का कारण बन सकती है।

3-मस्तिष्क की स्थिति-मस्तिष्क की स्थिति जो उसे ब्रेन ट्यूमर या स्ट्रोक के रूप में क्षति पहुंचाती है मिर्गी का कारण बन सकती है 35 वर्ष से अधिक आयु वाले वयस्कों में स्ट्रोक मिर्गी का एक प्रमुख कारण है।

4-संक्रामक रोग-संक्रामक रोग जैसे मेनिनजाइटिस ,एड्स और वायरल इन्सैफेलाइटिस इस मिर्गी का कारण बन सकते हैं।

5-जन्म के पूर्व की चोट-जन्म से पहले बच्चे मस्तिष्क की चोट के प्रति संवेदनशील होते हैं । जो कई कारणों से हो सकती है। जैसे मां को होने वाला संक्रमण काल पर पोषण किया, आक्सीजन की कमी इस मस्तिष्क की क्षति के कारण मिर्गी या मस्तिष्क पक्षाघात हो सकता है।

6-विकास संबंधी विकार-मिर्गी कभी-कभी विकास संबंधी विकारों से जुड़ी हो सकती है जैसे कि स्वलीनता।

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मिर्गी के बचाव के उपाय-

Prevention of Epilepsy:


मिर्गी की रोकथाम:-सीट बेल्ट बांधों और साइकिल चलाते समय हेलमेट पहनना, बच्चों को कार की सीट पर अच्छे से बैठ आना और सिर में चोटें आने आघातों से बचाव करने वाले उपाय को अपनाकर  मिर्गी के कई मामलों में नुकसान होने को रोका जा सकता है।

पहले या दूसरे दौरे या जो दोनों के बाद सुझावित दवाई लेने से कुछ मामलों में मिर्गी को रोकने में मदद मिल सकती है।

गर्भावस्था के दौरान उच्च रक्तचाप और संक्रमण के उपचार सहित जन्म से पूर्व की जाने वाली देखभाल द्वारा विकसित हो रहे बच्चे में मस्तिष्क क्षति को रोका जा सकता है। जो बाद में मिर्गी और अन्य न्यूरोलॉजिकल समस्याओं का कारण बन सकता है।


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