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पीलिया के कारण, लक्षण और बचाव । jaundice in hindi ! What is jaundice

 

पीलिया (जाॅन्डिस) क्या है?

What is jaundice?


पीलिया होने का कारण बिलीरूबिन नामक पदार्थ है जिसका निर्माण शरीर के ऊतकों और रक्त में होता है।जब लीवर में लाल रक्त कोशिकाएं टूट जाती हैं तब पीले रंग का बिलुरुबिन नामक पदार्थ बनता है।जब किसी परिस्थिति के कारण यह पदार्थ का रक्त से लीवर की ओर और लीवर द्वारा फिल्टर का शरीर से बाहर नहीं जा पाता तो पीलिया होता है।पीलिया एक ऐसा रोग है इसमें टोटल सिरम बिलुरुबिन का स्तर 3 मिलीग्राम प्रति देसी लिटर से ऊपर बढ़ जाता है। इसके मुख्य लक्षणों में आंखों के सफेद हिस्सा म्यूकस मेंब्रेन और त्वचा का रंग पीला पड़ जाता है।पीलिया आमतौर पर नवजात शिशु को होता है लेकिन यह कुछ मामलों में यह वयस्को को भी हो जाता है । पीलिया कई बार कुछ अन्य लक्षण भी महसूस होने लग जाते हैं । जैसे पेट में दर्द , भूख ना लगना,और वजन घटना आदि।



पीलिया (जाॅन्डिस ) के कारण:-

Jaundice Causes-


अगर रक्त में ब्लू रूबीन के मात्रा 2.5 से ज्यादा हो जाती है, तो लीवर की गंदगी साफ करने की प्रक्रिया रुक जाती है और इस वजह से पीलिया होता है।प्री- हिपेटिक पीलिया लाल रक्त कोशिकाओं के जल्दी टूटने से बिलीरुबिन की मात्रा में वृद्धि के कारण होता है।पीलिया लीवर की कोशिकाओं में नुकसान या लीवर में किसी भी तरह के संक्रमण के कारण होता है जिसके पीछे शरीर में एसिडिटी के बढ़ जाने ज्यादा शराब पीने अधिक नमक और तीखे पदार्थों के सेवन जैसे कारण है। पीलिया पिच नलिका में रुकावट के गाना होता है जो कि लीवर में घाव, पित्ताशय की पथरी, हेपेटाइटिस सी , दवाई की अधिक मात्रा से विपरीत प्रतिक्रिया होने का परिणाम हो सकती है। पीलिया के प्रमुख कारक:-

1-समय पूर्व जन्म-14 सप्ताह से पहले पैदा होने वाला बच्चा भी दूरबीन की प्रक्रिया पूरी तरह से पूर्णकालिक के रूप में नहीं कर सकता साथ ही वह कम खाता और कम मन त्याग ता है। जिसके कारण मन के माध्यम से कम बिलुरुबिन का सफाया होता है।

2-जान के दौरान चोट-अगर नवजात शिशु को प्रसव से चोट लग जाती है तो उस उस में लाल रक्त कोशिकाओं के टूटने से विभिन्न कारक स्तर पर जा सकता है।

3-रक्त का प्रकार-यदि मां के रथ का प्रकार उसके बच्चे से भिन्न होता है तो बच्चे को प्लेसेंटा के माध्यम से एंटीबॉडी प्राप्त हो जाती है। जिससे कि उसकी रक्त कोशिकाएं और अधिक तेजी से टूट जाती है।

4-स्तनपान-नवजात शिशु खास तौर पर वह जिन्हें स्तनपान से संपूर्ण पोषण नहीं मिलता। उन्हें पीलिया होने का अधिक खतरा होता है।


पीलिया ( जाॅन्डिस) के लक्षण:-

Jaundice symptoms-


पीलिया का सबसे बड़ा लक्षण है। त्वचा और आंखों के सभी हिस्सों का पीला हो जाना । इसके अलावा पीलिया के लक्षणों को निम्न शामिल है:-

1-बुखार

2-कमजोरी

3-भूख की कमी

4-वजन में कमी

5-मतली

6-हल्के रंग का मल

7-कब्ज

8-सिर दर्द

9-गहरे रंग का मूत्र

10-शरीर में जलन या खुजली


पीलिया (जाॅन्डिस) से बचाव:-

Prevention of jaundice-


लीवर शरीर का बहुत ही महत्वपूर्ण अंग होता है। क्योंकि सिर्फ यही अंग होता है जो पाचक रस बनाता है। जो भोजन पचाने के काम आता है। इसके साथ-साथ लीवर खून का थक्का जमने की प्रक्रिया मरीज द्वारा मेटाबॉलिज्म करना और विषाक्त पदार्थों को शरीर से बाहर निकालने में मदद करता है। हालांकि निम्न की मदद से लीवर को संतुलित रखना जरूरी होता है:-

1-संतुलित आहार खाना

2-नियमित रूप से एक्सरसाइज करना

3-साफ व स्वच्छ पानी पीना

4-शराब बंद कर देना

5-एक से अधिक यौन साथियों के साथ असुरक्षित यौन संबंध ना बनाना।


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