Rauwolfia Serpentina ( छोटी चन्दन ) के लाभ – Rauwolfia Serpentina Q homoeopathic medicine
Rauwolfia Serpentina ( छोटी चन्दन ) के लाभ – Rauwolfia Serpentina homoeopathic medicine.
विभिन्न नाम:- सर्पगन्धा, चन्द्रा, छोटी चांद, धनबरूआ, पागलबूटी, हिकमतअसरोल, डॉक्टरी Rauwolfia Serpentina.
इस भारतीय दवा ने थोड़े ही समय में इतनी ख्याति प्राप्त कर ली है जो कोई दूसरी दवा प्राप्त नहीं कर सकी। संसार का कोई देश ऐसा नहीं है जहाँ यह दवा न बिक रही हो। बड़ी-बड़ी विदेशी औषधि निर्माता फर्मे छोटी चन्दन के एक्सट्रैक्ट और एलकलाईड से दवायें बनाकर इसको विभिन्न पेटेण्ट नामों से बेच रही हैं।
आज से पचास वर्ष पहले की बात है कि बिहार के प्रसिद्ध बैरिस्टर और कलकत्ता हाई कोर्ट के जज मिस्टर हसन इमाम की धर्मपत्नी पागल हो गई। बड़े-बड़े प्रसिद्ध एलोपैथिक डॉक्टरों की दवाओं और इन्जेक्शन तथा पागलखाने में रखकर चिकित्सा कराने पर भी लाभ न हुआ। एक दिन संयोग से एक साधू वहाँ आया, उसने इस दवा की जड़ें पीसकर स्त्री को खिलानी शुरू की जिससे कुछ ही दिनों में स्त्री का पागलपन बिल्कुल दूर हो गया और वह पूर्ण रूप से स्वस्थ हो गई।
डॉक्टर सिद्दीकी, डॉ. सेन, डॉ. बोस और डॉ रामनाथ चोपडा और दूसरे बड़े-बड़े एलोपैथिक डॉक्टरों ने इस दवा पर वर्षों तक रिसर्च का अब इसके एलकलाईड से बनी विभिन्न पेटेण्ट दवायें संसार के तमाम पागलखानों (Mental Hospitals) में प्रयोग की जा रही हैं। यू. पी. और बिहार में यह दवा पागलों की दवा’ के नाम से ख्याति प्राप्त कर चुकी है। आप इस दवा से जंजीरों में बंधे, मारने वाले भाग जाने वाले पागलों को काबू में कर सकते और स्वस्थ बना सकते हैं। ऐसे जोशीले पागलों के लिए छोटी चन्दन सौ प्रतिशत शर्तिया दवा है। इस दवा की कुछ ही मात्राओं से जोशीले पागल काबू में आ जाते हैं। उनका जोश टूट जाता है, वे तमाम रात आराम से सोये रहते हैं और निरन्तर प्रयोग से वे शत प्रतिशत स्वस्थ हो जाते हैं। परन्तु कमजोर और किसी को कुछ न कहने वाले पुराने पागलों और मालीखोलिया (वहम) के रोगियों को यह दवा लाभ नहीं पहुँचाती। यह दवा स्नायु (Nerves) की उत्तेजना और जोश को दूर करती और रोगी के मानसिक जोश और बेचैनी को दूर कर देती है। 10-15 दिनों में ही रोगी का पागलपन दूर हो जाता है। निरन्तर प्रयोग से वह बुद्धिमता की बातें करने लग जाता है। आप इस दवा से जंजीरों में बंधे भयानक और जोशीले पागलों को स्वस्थ बना सकते हैं और पागलों की चिकित्सा के विशेषज्ञ बन सकते हैं।
हाई ब्लड प्रेशर यह दवा हाई ब्लड प्रैशर और उससे पैदा रोगों की भी शत प्रतिशत सफल दवा है। इस दवा से रोगी का ब्लड प्रैशर नार्मल से बहुत बढ़ जाना, दिमाग में रक्त की अधिकता के कारण नींद न आना, सख्त सिर दर्द, चेहरा लाल हो जाना, चेहरे में आग की चिंगारियाँ और गर्मी प्रतीत होना आदि सब कष्ट दूर हो जाते
नींद न आना:- जब रोगी को दिमाग में खून की अधिकता, क्रोध, जोश, चिन्ता आदि के कारण नींद न आये तो इसकी एक ही मात्रा से गहरी नींद आ जाती है। मिर्गी के दौरों को रोकने और रोग से मुक्ति पाने के लिए यह दवा बहुत लाभप्रद है। इससे मिर्गी के सख्त और मामूली दौरों और ऐंठन को आराम आ जाता है।
डॉक्टर चक्रवर्ती और डॉ. चौधरी ने सन् 1951 में इस दवा से हाई ब्लड प्रेशर के काफी रोगियों की चिकित्सा की। पहले ही दिन उनका सिस्टोलिक प्रेशर 15 एम एम या इससे भी अधिक और डायास्टोलिक प्रैशर 10 एम. एम या इससे भी अधिक घट गया।
इस दवा से रोगी की भूख भी बढ़ जाती है और उसकी कब्ज़ दूर हो जाती है। इसकी जड़ों को पीसकर प्रयोग किया जाता है। इसका स्वाद सख्त कड़वा होता है। जिसके कारण रोगी को पीने में कष्ट होता है। जड़ों को पीसकर कपड़े से छानकर पानी में घोलकर पिला सकते हैं। जड़ों का चूर्ण वयस्क रोगी को 10 से 15 रती की मात्रा में दिन में 2-3 बार प्रयोग करायें।
रोगी को इस दवा का टिक्चर आसानी से पिलाया जा सकता है। पानी में मिल देने से इसकी कड़वाहट भी कम हो जाती है। प्रभाव भी शीघ्र होने लग जाता है। 15 से 30 बूंदे टिंक्चर एक दो औंस पानी में मिलाकर दिन में 2 से 4 बार पिला सकते हैं।
चिकित्सकों की कठिनाई को दूर करने के लिए खालिस छोटी चन्दन की जड़े को मशीन में पीसकर बारीक पाउडर शीशियों में पैक करके रख लिया गया है। आप इस दवा के टिक्चर या जड़ों के पाउडर से ऊपर लिखे रोगों को शर्तिया दूर कर सकते हैं।
और पढ़ें – नींद नहीं आने के कारण 👈