Agave Americana Q homoeopathic medicines uses in hindi
Agave Americana Q homoeopathic medicines uses in hindi
एगेव अमेरिकाना | (Agave Americana).
इस दवा का भेद टैक्सास (अमरीका) के एक ग्राम में रहने वाले एक आदिवासी से पिछली शताब्दी में मिला था। इसके पश्चात् इस पौधे का टिक्चर बनाकर तमाम संसार में प्रयोग होने लग गया। यह दवा स्कर्वी (Scurvy) रोग में बहुत ही सफल सिद्ध हुई है। सन् 1850 से पहले की बात है एक फौजी सिपाही को एक अस्पताल में दाखिल किया गया। उसका चेहरा बहुत पीला और मुर्झाया हुआ था, उसके मसूदों से रक्त तथा पीप आती थी। उसके घुटने से लेकर तमाम जॉप तक टॉग बैंगनी रंग की झाईयों से भरी हुई थी। टाँग बहुत सूजी हुई, सख्त दर्द करती और पत्थर की भाँति कठोर हो चुकी थी। नाड़ी की गति बहुत ही कमजोर और रोगी चलने-फिरने के अयोग्य था, भूख बिल्कुल नहीं लगती, सख्त कब्ज रहती थी। ये सब लक्षण स्कर्वी रोग में पाये जाते हैं।
रोगी को शक्तिशाली भोजन के साथ उसको विटामिन ‘सी’ की कमी को दूर करने के लिये नींबू का रस पानी में मिलाकर बार-बार दिया जाता रहा। इसके साथ उसको यह दवा भी दी जाती रही जिससे उसके पाँव की शोथ, कठोरता और पाँद की झाई दूर हो गई और 20-21 दिन में ही रोगी चलने-फिरने के योग्य हो गया तथा थोड़े ही दिनों में स्वस्थ होकर फ़ौज से काम करने चला गया। इस दवा से विटामिन की कमी और स्कर्वी रोग में पीड़ित हजारों रोगी स्वस्थ हो चुके हैं।
यह दवा पागल कुत्ते के विष को दूर करने में भी बहुत ही सफल सिद्ध हुई है। 8 वर्ष के एक बच्चे को पागल कुत्ते ने काट लिया। उसका घाव तो भर गया परन्तु कुछ समय के बाद बच्चे में हलकाव के लक्षण पैदा हो गए। वह पागल होकर दूसरों को काटने लग गया। जिसके कारण उसको बांध दिया गया। उसने तीन दिन तक कुछ नहीं खाया था। कोई भी दवा लाभ नहीं पहुँचा रही थी। उस लड़के को इस पौधे की जड़ें खाने को दी गई। जोश और रोग के कारण वह काफी मात्रा में इन जड़ों को खाता चला गया। 18 दिन के बाद उसका पागलपन यह दवा खाते रहने से दूर हो चुका था और वह इस भयानक रोग से पूर्ण रूप से बच गया था। अब इस पौधे का टिक्चर भारत और तमाम संसार में बिक रहा है। स्कर्वी रोग में यह चोटी की दवा मानी जाती है। इस रोग में मसूढे पिलपिले हो जाते हैं और उनसे रक्त तथा पीप निकलने लग जाती और दाँत हिलने लग जाते हैं। इस रोग को डॉक्टरी में पायोरिया कहते हैं। रक्तवाहिनियों और कैपीलरीज से रक्त निकलकर हड्डियों के अन्दर इकट्ठा हो जाता है। तमाम शरीर ढीला पड़ जाता है। यह रोग शरीर में विटामिन सी कम हो जाने से हो जाता है। इस रोग में इस दवा का टिक्चर 3 से 15 बूंदे थोडे ताजा पानी में मिलाकर दिन में 3-4 बार पिलाते रहे।