Echinacea Angustifolia Q Symptoms Uses and Banefit in hindi

 

Echinacea Angustifolia Q Symptoms Uses and Banefit in hindi

Echinacea Angustifolia Q Symptoms Uses and Banefit in hindi


एकीनेशिया अंगस्टिफोलिया (Echinacea Angustifolia).


यह दवा रक्त शुद्ध करने और रक्त से विषैले तत्वों को निकालने विशेष ख्याति प्राप्त कर चुकी है। शरीर से विषैले प्रभावों को दूर करती है। सॉप, बिच्छू या पागल कुत्ते के काट लेने पर इसको स्थानीय और मुख द्वारा दोनों रूपों में सफलतापूर्वक प्रयोग किया जा सकता है। ऐसी दशा में घाव पर दवा के लोशन में कपड़े की गद्दी भिगोकर बार-बार रखते रहें। इस दवा को डिस्टिल्ड वाटर में मिलाकर घाव और उसके आसपास इन्जेक्शन लगायें। साँप या पागल कुत्ते के काटने पर 10 बूँदें दवा थोडे पानी में मिलाकर प्रति आधे या एक घण्टे बाद पिलाते रहें। शुद्ध दवा भी सर्प दंश या पागल कुत्ते के काटे घाव में भरी या लगाई जा सकती है। इससे दर्द, शोष, जलन और विष का प्रभाव बहुत शीघ्र दूर होने लग जाता है। उपदंश रक्त-दोष और उससे उत्पन्न चर्म रोगों, फोड़े-फुन्सी, खुजली और एक्जीमा में इसको समभाग वाटर फॉर इन्जेक्शन में मिलाकर चर्म में इन्जेक्शन लगाते रहने से रक्त शुद्ध होकर और उसके विषैले प्रभाव दूर होकर ये रोग दूर हो जाते हैं या 10 बूंद दवा थोड़े पानी में मिलाकर दिन में 3 बार पिलाते रहें। घावों और चर्म रोगों में इसका मरहम, लोशन या ग्लीसरीन मलते रहने से घाव

भर जाते हैं और चर्म रोग दूर हो जाते हैं सुजाक रोग में 10 बूँदे दवा थोड़े पानी में मिलाकर दिन में 3-4 बार-बार पिलाये। स्त्रियों के सुजाक में इसका लोशन 4 गुणा पानी में बनाकर उसमें कपड़े की गद्दी भिगोकर योनि में रखते हैं। कारबकल, पुराने घाव जो किसी प्रकार ठीक न होते हों, विषैले दुर्गन्धित फोड़ों और नासूर आदि के अन्दर यह दवा या इसका लोशन प्रवेश करने या गद्दी रखने से उनका विषैला पदार्थ प्रभावहीन होकर उनमें पीप और दूषित स्राव बन्द हो जाता है। शोध, जलन और सस्त दर्द दूर हो जाता है इसके साथ ही यह दवा पिलाते भी प्रसवोत्तर रक्तस्राव रूक जाने से उत्पन्न ज्वर प्रसूत ज्वर, टायफाईड ज्वर, विषैले फोड़ों से उत्पन्न ज्वर और दूसरे संक्रामक ज्वरों में यह दवा संक्रमण को दूर करके ज्वर उतार देती है और रोगी के प्राण बचा लेती है। कारबकत फोड़े का रंग नीला सा या लाल हो, उसमें सख्त जलन और सस्त दर्द हो तो यह दवा पिलाने और कारबकल पर लगाते रहने से थोड़ी देर में सब कष्ट दूर हो जाते हैं और रोगी चिकित्सक का आभारी हो जाता है। नाक से तीव्र दुर्गन्ध आना, कण्ठमाला की गिल्टियों से पीप आना, घावों का माँस निर्जीव हो जाना और प्रन्थियों के सूज जाने में यह दवा बहुत ही अनुभूत है।एक रोगी के सिर में तरल रसोली थी। उसको यह दवा पिलाते रहने से वह रसूलिया धीरे-धीरे दूर हो गई।

प्रयोग विधि:-इस दवा को संभाग वॉटर फॉर इंजेक्शन में मिलाकर चर्म में इंजेक्शन लगा सकते हैं। 4 से 6 गुणा वैसलीन में मिलाकर मरहम बना सकते हैं।

मात्रा:-5 से 15 बूंदे दिन में तीन से चार बार पिलाएं। तीव्र रोगों में 5 से 10 बंदे दवा एक 1 घंटे बाद पानी में मिलाकर पिलाएं।

Similar Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published.