Ficus Religosa Q Mother Tincture Symptoms Uses and Banefit in hindi

 

Ficus Religosa Q Mother Tincture Symptoms Uses and Banefit in hindi.


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पीपल

(फीक्स रेलीजोअस) 

(Ficus Religosa)


विभिन्न नाम- पीपल का पेड़, संस्कृत-पीपला, बंगाली – अश्वाथा, गुजराती-पीपलू । भारत में इस वृक्ष के गुणों के कारण ही इसकी पूजा की जाती है। चरक, सुश्रुत, भावप्रकाश और आयुर्वेदिक पुस्तकों में नाक, फेफड़ों, गर्भाशय, बवासीर और पाखाने में रक्त आने में इसके गुणों की बहुत प्रशंसा की गई है।


सन् 1887 ई. की बात है कि कलकत्ते के प्रसिद्ध डॉक्टर महेन्द्रलाल सरकार एम. डी. सी. आई. ई. के पास एक रोगी आया जिसके आमाशय से बहुत अधिक मात्रा में रक्त आ रहा था। उसको रक्त की कै (Hematemesis) आती, उस प्रसिद्ध डॉक्टर ने उस रोगी को काफी दवायें दीं परन्तु रक्त की के न रूकी। संयोग से वहाँ एक सन्यासी आ गया। उसने रोगी को देखकर पीपल के ताजा पत्तों का रस निकालकर एक छोटा चम्मच रस के आने के बाद हर बार पिलाने का आदेश दिया। इसकी कुछ मात्राओं से ही रोगी के आमाशय से रक्त आना बन्द हो गया। उसका यह चमत्कार देखकर डॉक्टरों ने पीपल के गुणों पर रिचर्स करनी आरम्भ कर दी। अब इस दवा को भारत तथा विदेशों के बड़े-बड़े डॉक्टर तक सफलता से प्रयोग कर रहे हैं। जब शरीर के किसी भी भाग जैसे फेफड़ों, आमाशय, गर्भाशय, नाक, गुदा, बवासीर के मस्सों से चमकीला लाल रंग का रक्त बहुत अधिक मात्रा में आये तो यह दवा जादू जैसे चमत्कारी प्रभाव दिखाती है। प्रदर बहुत अधिक मात्रा में और शीघ्र-शीघ्र आना. पाखाने के साथ रक्त आना, प्रदर योनि की बजाय मुँह या नाक से आने लग जाये तो इन रोगों में यह दवा अत्यन्त अनुभूत सिद्ध होती है और कुछ ही मात्राओं में रक्तस्राव रूक जाता है। 5 बूँदें टिंक्चर रोग अधिक होने पर आधे या एक घण्टे और रोग कम होने पर दिन में 3-4 बार थोड़े पानी में मिलाकर पिलाते रहें।

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