Gaultheria Mother Tincture Q homoeopathic medicine benefit and uses in hindi
Gaultheria Mother Tincture Q homoeopathic medicine benefit and uses in hindi
गालथेरिया (Gaultheria)
इसको विंटर ग्रीन ऑपल भी कहते हैं। इस पेड़ के पत्तों से इसका तेल प्राप्त किया जाता है। दवा के रूप में इसका तेल मा टिक्चर प्रयोग होता है। यह दवा गठिया और स्नायू पीडा (न्यूरल्जिया) में चमत्कार दिखाती है। इससे रोगी का मिनटों में दूर हो जाता है। जब चेहरा, आंस, सिर या शरीर के किसी भी भाग में स्नायू-पीड़ा हो, दर्द इतना तीव्र हो कि रोगी तड़पने लग जाये, आमाशय और अन्तड़ियों में सस्त स्नायू-पीडा तीव्र आमाशय शोथ, बहुत तेज दर्द, निरन्तर के आये, उकसाहट और स्नायु दुर्बलता से दर्द, डिम्बग्रन्थि की स्नायु पीड़ा, गर्भाशय की स्नायू-पीड़ा जो प्रदर आने से पहले या प्रदर काल में गर्भाशय में उठे तो यह दवा सिलाते ही रोगी का सख्त दर्द तुरन्त बंद हो जाता है।
शिकागो का एक रोगी पिछले कई वर्षों से आँखों के पपोटों में स्नायु पीड़ा के कारण दुखी था। अमेरिका के बड़े-बड़े डॉक्टरों की दवायें फेल हो चुकी थी। वह संसार भर की दवाओं से निराश हो चुका था। उसका विचार था कि उसको इस दर्द से कभी भी छुटकारा नहीं मिलेगा। निराश होकर वह यार्क (अमेरिका) के होमियोपैथिक डॉक्टर बेंजमिन लींग के पास आया और कहा कि मुझे इस दर्द से बचने की कोई आशा नहीं है। परन्तु मेरी इच्छा है कि मुझे इस सख्त दर्द से अस्थाई रूप में ही आराम आ जाये। उसको इस दवा की कुछ मात्राये देकर प्रयोग विधि बता दी गई। दो वर्ष बाद वह रोगी मेरे पास आया और मुझे बताया कि आपकी दवा से मुझे इस रोग से पूर्ण रूप से आराम आ गया है। उसने मुझे ईनाम के रूप में पाँच डालर (35 रु50 पैसे) दिये। एक दूसरा रोगी कई वर्षों से चेहरे की स्नायु पीड़ा से ग्रस्त था और दवायें खाते खाते तंग आ चुका था। पहली ही 2 मात्रायें खाने से उसके इस जीर्ण रोग को आराम आ गया और पुन: दर्द नहीं हुआ।
एक स्त्री को आमाशय और अन्तड़ियों में तीव्र प्रकार की स्नायु पीड़ा काफी समय से रहती थी। योग्य से योग्य डॉक्टरों की दवायें भी बेकार हो चुकी थी। पिछले तीन सप्ताह से उसके आमाशय और अन्तड़ियों में सख्त दर्द हो रहा था। इस दवा को देते ही दो घण्टे में उसका दर्द दूर हो गया और वह 2 दिन में अपना काम-काज करने लग गई।
स्नायु पीड़ा को दूर करने के अतिरिक्त यह दवा इन्फ्लेमेटरी रिहयुमेटिज्म में भी लाभकारी है। इस दवा से इस कष्टदायक रोग के सभी रोगियों को आराम आ जाता है। एक 50 वर्षीय स्त्री को दो बार इस रोग का तीव्र आक्रमण हुआ जो तीन मास तक रहा। इस बार वह पिछले एक मास से इस रोग से ग्रस्त होकर बिस्तर पर पड़ी थी।
उसके शरीर के ऊपरी और निचले अंगों के जोड गठिया के कारण बहुत अधिक सूज गये थे, उनमें सख्त दर्द होता और थोड़ा सा हिलाने पर असहनीय दर्द होता। वह बिस्तर से उठ या हिल तक नहीं सकती थी। टेम्परेचर 103 डिग्री, नाड़ी बहुत कमजोर और अन्तर से चलती थी। इस दवा की 2-3 मात्रायें खाने के एक घण्टा बाद ही वह अपने जोड़ों को हिलाने के योग्य हो गई। दूसरी मात्रा खाने के बाद जोड़ों की शोध और दर्द दूर हो गई।
एक दूसरी रोगिणी पिछले 10 दिनों से शोधयुक्त जोड़ों के दर्द से ग्रस्त थी। डोवर्स पाउडर और मार्फिया आदि से भी दर्दों को कोई आराम नहीं आया था। रोगिणी का टेम्प्रेचर 1029, नाड़ी की गति 105 बार प्रति मिनट, बायें हाथ की अंगुलियों और कुहनियों के जोड़ बहुत सूजे हुए थे और दर्द करते थे। इस दवा को देने के एक घण्टे के अन्दर ही उसके कष्ट कम होने लग गये। दूसरी मात्रा खाने के बाद शोथ और दर्द बिल्कुल दूर हो गये और वह अपना कामकाज करने के योग्य हो गई।
एक रोगी काफी समय से गृद्धसी (लंगडी) के दर्द से पीड़ित था। एलोपैथिक चिकित्सा से आराम नहीं आया था। रोग को दूर करने के लिए उसको गर्म पानी के चश्मे में स्नान करने को कहा गया था। इस दवा की कुछ मात्राओं से ही उसका यह सख्त दर्द दूर हो गया।
मात्रा- इसका टिक्चर 5 से 15 बूँदें तक खाँड में मिलाकर दें। मामूली दर्द में 5 बूँदें और सख्त दर्द में 15 बूंदें दें। आराम न आने पर आधे या पौने घण्टे के बाद दोबारा दे सकते हैं। उसके बाद 2-2 घण्टे बाद। कष्ट कम हो जाने पर दिन में 3 बार दें।