Tinospora Cordifolia Q की जानकारी लाभ और फायदे in hindi
Tinospora Cordifolia Q की जानकारी लाभ और फायदे in hindi
गिलोय ( Tinospora Cordifolia Q )
विभिन्न नाम:- संस्कृत- गुडुची, बंगाली-गोलचा, गुजराती-गुलवली, मराठी-गलावेली। गिलोय को दवा के रूप में हजारों वर्षों से प्रयोग किया जा रहा है। चरक ने इसको पुराने जीर्ण ज्वरों, पांडु रोग, रक्ताल्पता के आदि में लाभप्रद बताया है। वागभट्ट ने इसको सुजाक की सर्वोत्तम दवा माना है। भावप्रकाश ने ज्वरों और लम्बे रोगों के कारण सख्त शारीरिक कमजोरी और पांडु रोग के लिए लाभप्रद लिखा है। चक्रदत ने इसको पित्ती उछलना, ज्वरों, कुष्ठ रोग (कोढ़) और श्लीपद में अनुभूत लिखा है। गिलोय बारी के ज्वरों सर्दी और कम्पन्न से उत्पन्न ज्वरों, धीमा ज्वर रहना, क्षय ज्वर (तपेदिक), रक्ताल्पता, पांडू रोग, पुराने अतिसार, यकृत का ठीक काम न करना, ज्वरों और रोगों के पश्चात् की कमजोरी, खाँसी वीर्यनाश से उत्पन्न शारीरिक और मानसिक कमजोरी, चर्म रोग जैसे खुजली, फोड़े, फुन्सी, कुष्ठ, उपदेश जोड़ों की शोध और दर्द, मूत्र और पाचनाँगों में अग्लता की अधिकता, प्लीहा के रोग सुजाक, मूत्र जलन के साथ आना, रूक जाना या कम मात्रा में आना, मूत्र सम्बन्धी अंगों की शोध, कुनीन अधिक खाने के कारण गर्मी और खुश्की, कानों में शायें-शाये की आवाजें आना और ज्वर रहना, स्वप्नदोष, प्रमेह हाथ-पाँव तथा चेहरे में जलन और शरीर में गर्मी की लहरें प्रतीत होना, आँखों और शरीर का रंग हल्दी की भाँति पीला, न रूकने वाली के और गितली, सख्त शारीरिक कमजोरी, वीर्य बहुत अधिक नाश कर लेने से दिल बहुत अधिक धड़कना, भोजन न पचने के कारण दस्त आना, हृदय, यकृत, आमाशय में प्रदाह आदि रोगों की सफल और रामबाण औषधि है। यह दवा इन रोगों को दूर करके रोगी में शक्ति और चुस्ती पैदा करती और वजन बढ़ाती है।
मात्रा- गिलोय का टिक्चर 5-6 बूँदें थोड़े पानी में मिलाकर दिन में 3-4 बार पिलायें। शुद्ध गिलो का सत् भी उपरोक्त गुण रखता है। इसकी मात्रा 4 से 8 रत्ती दिन में 2 बार है।
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