Psoralea Corylifolia Q की जानकारी लाभ और फायदे in hindi

 

Psoralea Corylifolia Q की जानकारी लाभ और फायदे in hindi.


Psoralea Corylifolia Q की जानकारी लाभ और फायदे in hindi

सोसालिया क (Psoralea Cor.)


विभिन्न नाम-हि. बाकूची, बावची ब. लता कस्तूरी, हाकुच, म. बावची, गु. बावची, क. वाउचिगे, ते भवचि, ता. कर्पोकरशि, फा. बावकुची, अं. Psoralea Seed (सोरालिया सीड) ।


उच्चारण भेद से कुछ लोग इसे भूलवश सोरिला या सोराईलिया भी कहते हैं। जो कि वस्तुतः सोरोलिया का ही अपभ्रंश (विकृत) नाम है। इसका मूल अर्क विशेषतः श्वेतकुष्ठ, श्वित्र चरक आदि विभिन्न नामों से जानी गयी त्वचा रोग की उत्तम औषधि है। श्वित्र को अंग्रेजी में न्यूकोडर्मा (Leucoderma) कहा जाता है। इस रोग के लिये यह (सोरालिया) चोटी की दवा है। इसके लिये इसे अभ्यान्तरिक सेवन के साथ-साथ बाहरी प्रयोग भी मक्खन या मलाई में मिलाकर किया जाता है। ध्यान रहे कि बावची या बाकुची के बीज से तेल निकाल कर भी लगाने के लिये आता है जिसे बावची का तेल या ऑयल बूची (Oil Bouchi) कहते हैं। इसे आक्रान्त स्थान पर लगाकर कुछ देर धूप लगायें। इस तेल के अभाव में इसके मदर टिंक्चर्ज का ही बाहरी प्रयोग करें।


इसके अतिरिक्त सोरालिया कुछ अन्य गुणों से भी युक्त है। स्नायुतन्त्र को सबल बनाती, शरीर की 1-1 कोशिका में उत्तेजना करके स्फूर्ति पैदा करती है, कृमियों को नष्ट करती है, त्वचा के कई अन्य रोगों में भी लाभप्रद है। किसी प्रकार का व्रण यदि शीघ्र ठीक नहीं हो रहा है तो इसका आन्तरिक और बाहरी प्रयोग से घाव अच्छा हो जाता है। साधारण प्रकार की कब्ज में शौच साफ आता है। पेशाब खुलासा लाने के लिये इसका प्रयोग किया जाता है। पुरुषों में पुरुषत्व शक्ति के लिये भी दी जाती है। शिवत्र के अतिरिक्त कुष्ठ, पामा, कण्डू, गजचर्म (Psoriasia) एवं त्वचा के अन्य रोग जहाँ त्वचा मोटी हो जाती है। वही इसका प्रयोग करें। पूर्ण लाभ होगा। यह एक उत्तम रक्तशोधक है। इसका सेवन कुछ अधिक दिनों तक करना पड़ता है। मात्रा- 5 से 15 बूँदे प्रतिदिन 3 बार।


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