Vitex Negundo Q की जानकारी लाभ और फायदे in hindi
Vitex Negundo Q की जानकारी लाभ और फायदे in hindi.
वाइटेक्स नेगुण्डो ( Vitex Negundo Q )
विभिन्न नाम-हि. सम्भालू, सिनुआर, बं निशिन्दा म लिंगड पं. बन्न, गु. नगोड, ता नोच्चि म करिनोच्चि ते दाविली कनेकि फा. पंजबगुस्त, अ असलक, अ Five Leaved chest Tree (फाइव लीवड चेस्ट ट्री)
यह प्रायः सब प्रान्तों में सब प्रकार की मिट्टियों में नदियों के किनारे गाँवों के आसपास, वन, उपवन आदि स्थानों पर पाया जाता है। इसके बड़े बड़े गुल्म प्राय 6-28 फुट ऊंचे होते हैं। कुछ वृक्ष इससे भी बड़े पाये जाते हैं।
इसका मदर टिक्चर्ज वेदना को शमन करने वाला वात को हरण करने वाला कफ एवं ज्वर को दूर करने वाला, मूत्र पैदा करने वाला आर्तव जारी करने वाला कृमिनाशक मस्तिष्क बलदायक शोधनाशक, विष हरण करने वाला एवं बलदायक है। अधिकतर आमवात, वातव्याधि, खाँसी, ज्वर प्रदर शूल (पीड़ा) अपचन, आध्मान (अफारा) अपची (छोटी गिल्टियाँ अर्बुद), क्षय कुष्ठ शोथ व्रण, प्लीहा वृद्धि एवं कृमि की शिकायत में इसका प्रयोग होता है।
शोथयुक्त सभी प्रकार की व्याधियों में इसे प्रयोग किया जाता है। चाहे वात रोग के साथ संधिशोथ, उदरावरण शोध हो या अण्डकोषों की शोध (सूजन) हो। यह फुफ्फुस एवं फुपफुसावरण शोध में भी लाभप्रद है। इन रोगों में मदर टिक्चर्ज के आंतरिक सेवन के साथ-साथ बाहरी प्रयोग भी किया जाता है। इसके सेवन से पूर्व किसी भी रोग में पेट की सफाई कब्जनाशक औषधि से कर दी जाये तो परिणाम और अच्छा मिलता है। प्रतिश्याय और गले की सूजन में भी यह लाभदायक है। यह यक्ष्मा में भी दी जाती है। इस रोग में और उत्तम परिणाम प्राप्त करने के लिये घृत मिले गर्म दूध में Q को मिलाकर सेवन कराये।
यह शीतज्वर विषम ज्वर एवं प्रसूत ज्वर में भी विश्वास के साथ दी जाती है। परिणाम अच्छा मिलता है। इसे नारियल के तेल में मिलाकर सर्वांग लगाया जाये तो शरीर की दाह एवं दुर्गन्ध दोनों ही मिट जाते हैं। विषम ज्वर में यदि प्लीहा की वृद्धि हो गयी हो तो भी अलग से किसी दवा का सेवन आवश्यक नहीं होता। इसी मूल अक (मदर टिक्चर्ज) से दोनों कष्ट मिट जाते हैं। सूतिका ज्वर (प्रसूत ज्वर) में इसके प्रयोग से प्रार्तव की शुद्धि हो जाती तथा गर्भाशय एवं आसपास के सम्बन्धित अंगों का शोध भी कम हो जाता है। इस स्थिति में आन्तरिक सेवन के साथ-साथ ओलिव ऑयल या नारियल के तेल में मिलाकर नाभि के नीचे के प्रदेश (भाग) में इसकी मालिश भी धीरे-धीरे करें। शिर शूल (सिर दर्द) और पाँव की जलन में तेल में मिलाकर मालिश करने से लाभ होता है।
मात्रा– 5 से 15 बूँदें ताजे पानी में मिलाकर प्रतिदिन 3-4 बार दें।