
ACONITUM NAPELLUS 30 की जानकारी लाभ और फायदे in hindi
एकोनाइट नेपेलस (ACONITUM NAPELLUS)
भय, व्यग्रता (anxiety), मानसिक एवं शारीरिक वेदना का बने रहना। शारीरिक एवं मानसिक बेचैनी, भय एकोनाइट के मुख्य चारित्रिक लक्षण है। तरुण (acute) आकस्मिक एवं प्रचण्ड रोगाक्रमण के साथ ज्वर, में इसका व्यवहार होता है। रोगी स्वयं को छूने नहीं देना चाहता।
शक्ति का अचानक एवं अत्यधिक द्वास होता है। शुष्क, ठण्डे मौसम, शीतलहर पसीने के दब जाने से उत्पन्न शिकायतें एवं तनाव तथा अत्यधिक गर्म मौसम के कारण भी शिकायतें, जिसमें विशेषकर पाचन तन्त्र के उपद्रव पैदा हो जाते है प्रदाह एवं प्रदाहक ज्वरों की प्रथमावस्था में व्यवहृत की जाती है। लसीय झिल्लियाँ (serum membranes ) एवं मांसल ऊतक (muscular tissues) विशेष रूप से प्रभावित होते हैं।
शरीर के अन्दरूनी हिस्सों में जलन, झनझनाहट, ठण्डक एवं सुन्नपन का अनुभव होता है। इन्फ्लुएंजा धमनियों में तनाव, भावुक एवं शारीरिक मानसिक तनाव बहुत से लक्षणों की व्याख्या कर देते हैं। एकोनाइट व्यवहृत करते समय याद रखें कि यह केवल क्रियात्मक दोष (functional disturbance) ही पैदा करती है. ऐसा कोई प्रमाण नहीं है कि यह ऊतकों में परिवर्तन पैदा कर सकती है। इसकी क्रिया सीमित है एवं कोई नियत काल या मियाद भी (periodicity) प्रकट नहीं करती है। इसका क्षेत्र तरुण (नये) रोगों की प्रारम्भिक अवस्था तक ही सीमित है यदि विकृतिजन्य परिवर्तन (pathological change) उत्पन्न होने लगे तो इसका व्यवहार नहीं करना चाहिए। यह अतिरक्तता (hyperemia), संकुलता (congestion) की स्थिति में व्यवहृत होती है न कि ऊतकों में तरल पैदा होने की स्थिति में इन्फ्लुएंजा (इन्फ्लुएन्जिन) ।
मन – अत्यधिक भय, व्यग्रस्ता (anxiety) एवं चिंता सभी प्रकार के रोगों के साथ रहते हैं चाहे वे कितने ही नगण्य क्यों न हो। प्रलाप की अवस्था में अप्रसन्नता चिन्ता भय वस्तुओं को नष्ट करने की इच्छा यदाकदा बेहोशी आना भविष्य के प्रति निराशा एवं भयभीत रहना। मृत्यु से भय लगता है, लेकिन रोगी को विश्वास होता है कि वह शीघ्र ही मर जायेगा. मृत्यु होने के दिन की भविष्यवाणी करता है। भविष्य के प्रति भयभीत रहता है भीड़गाड तथा सड़क पार करने में भय लगता है। बेचैनी के कारण छटपटाहट रहती है। चौंकने की प्रवृत्ति होती है। रोगी तीव्र कल्पनाशील एवं दूरदृष्टा होता है दर्द असह्य होते हैं, जो उसे पागल सा बना देते हैं। संगीत असह्य होता है. रागिणी को उदास कर देता है (एम्बरा) रोगी सोचता है कि उसके विचार आमाशय से उठते हैं. शरीर के अंश अस्वाभाविक रूप से मोटे हैं। सोचता है कि अभी-अभी जो कुछ किया है. वह एक सपना था।
सिर– सिर में पूर्णता, भारी, धड़कन की तरह गरम, फटने जैसा, अन्तर्दाह फैला हुआ होना एवं पूर्णता की अनुभूति होना। कपाल के अन्दर दबाव रहना (intercranial pressure) (हेडरा हेलिक्स)। सिर के अन्दर अन्तदाह के साथ दर्द ऐसी अनुभूति होती है मानो मस्तिष्क उबलते हुए पानी में चलायमान हो (इण्डिगो)। घुमेरी (vertigo), जो उठने (नक्स, ओपियम) एवं सिर हिलाने पर बढ़ जाती है। सिर के सबसे ऊपरी भाग पर ऐसी अनुभूति होती है मानो कोई बालों को खींच रहा हो अथवा खड़े हो गये हों। रात्रिकालीन भयानक प्रलाप (delirium)।