High blood pressure (hypertension) ! हाई ब्लड प्रेशर के कारण और लक्षण
हाई ब्लड प्रेशर क्या है ? (What is high blood pressure )
किसी भी कारण से बढ़े हुए ब्लड प्रेशर को हाई ब्लड प्रेशर या हाइपरटेंशन कहते हैं। जब किसी युवा व्यक्ति में विश्राम अथवा बैठी हुई अवस्था में arterial pressure 160/95 mm hg अथवा इससे अधिक हो तो वह व्यक्ति हाई ब्लड प्रेशर का शिकार है।
हाई ब्लड प्रेशर एक आम समस्या है। स्वास्थ्य समस्याओं में वर्तमान समय में हाई ब्लड प्रेशर एक महत्वपूर्ण स्वास्थ्य समस्या है जिसमें लगभग 5 से 10% युवा प्रभावित हैं। हाई ब्लड प्रेशर से व्यक्ति के मस्तिष्क, ह्रदय, लीवर, गुर्दों, आदि पर बुरा प्रभाव पड़ता है। सेल्स पर भी हाई ब्लड प्रेशर का बुरा प्रभाव पड़ सकता है। हाई ब्लड प्रेशर होने पर कोशिकाएं डैमेज हो जाती है।
हाई ब्लड प्रेशर का पता तब चलता है जब रोगी को किसी अन्य रोग के कारण जांचा जा रहा हो। आंखों में दर्द, सिर में दर्द, चक्कर आना, बेहोशी, नाक से नकसीर फूटना, छाती में दर्द, सांस लेने में परेशानी, धड़कन व कानों में सायंं – सायं की आवाज, शरीर में बेचैनी, सांस का अत्यधिक फूलना, आदि इस रोग में चेतावनी देने वाले लक्षण है। ऐसे लक्षण दिखने पर रोगी को हाई ब्लड प्रेशर की जांच करा लेनी चाहिए।
एक स्वस्थ व्यक्ति में सिस्टोलिक प्रेशर 100 से 150 और डायस्टोलिक प्रेशर 60 से 90 mm Hg सामान्य माने जाते हैं।अगर किसी व्यक्ति का प्रेशर इससे अधिक हो तो वह हाई ब्लड प्रेशर का शिकार है।
हाई ब्लड प्रेशर के कारण :
- ज्यादा दिमागी व भागदौड़ काम करने वाले व्यक्ति को हाई ब्लड प्रेशर की समस्या देखने को मिलती है।
- गांव की अपेक्षा शहरों में रहने वाले व्यक्तियों को हाई ब्लड प्रेशर ज्यादा पाया जाता है।
- जिन व्यक्तियों को अस्थमा की बीमारी है उन्हें भी हाई ब्लड प्रेशर की समस्या हो सकती है।
- डायबिटीज के लोगों को अक्सर हाई ब्लड प्रेशर की समस्या हो जाती है।
- जिन व्यक्तियों का वजन अधिक है उन्हें भी हाई ब्लड प्रेशर की समस्या हो जाती है।
- ज्यादा नमक खाने पर यह शरीर में पानी को रोककर ब्लड प्रेशर बढ़ा देता है।
- ज्यादा मसालेदार भोजन खाने से ब्लड प्रेशर बढ़ सकता है।
- हाई ब्लड प्रेशर स्त्री और पुरुषों दोनों को होने की बराबर संभावना रहती है।
- हाई ब्लड प्रेशर की समस्या अनुवांशिक भी हो सकती है।
आयु के बढ़ने के साथ-साथ भी ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है। गर्भावस्था के दौरान खून का दौरा बढ़ने से हृदय का कार्य भार बढ़ जाता है और इस कारण ब्लड प्रेशर भी बढ़ सकता है। एक स्वस्थ व्यक्ति का ब्लड प्रेशर है बदलता रहता है जैसे खांसी, व्यायाम मानसिक तनाव आदि ब्लड प्रेशर को प्रभावित करते हैं। तनाव, नमक का अत्यधिक प्रयोग, धूम्रपान मोटापा, मदिरापान, असंतुलित आहार, चिकनाई युक्त भोजन, मसालेदार भोजन, दिमागी तनाव, व्यायाम की कमी, लकवा अथवा हार्ड अटैक की बीमारी इत्यादि ब्लड प्रेशर को बढ़ा सकते हैं।
हाई ब्लड प्रेशर के लक्षण : (symptoms of high blood pressure )
- हाई ब्लड प्रेशर में रोगी के सिर में दर्द होता हैं।
- थोड़ा काम कर लेने से भी रोगी में थकावट आ जाती है।
- रोगी का कोई काम करते समय सांस फूलने लगता है।
- हाई ब्लड प्रेशर होने पर रोगी को चक्कर आ सकते हैं।
- उल्टी भी आ सकती है।
- दिल की धड़कन तेज हो जाती है।
- रोगी में चिड़चिड़ापन आ जाता है।
- रोगी क्रोध करने लगता है।
- ब्लड प्रेशर अधिक हो जाने पर रोगी की स्थिति पागलों जैसी हो सकती है।
- ब्लड प्रेशर की स्थिति में रोगी की नाक से खून निकल आता है।
- किसी भी काम में मन नहीं लगता।
- याददास्त की कमी हो जाती है।
- नब्ज तेज हो जाती है जिसे आसानी से महसूस किया जा सकता है।
- कनपटी की नसें आसानी से देखी जा सकती हैं।
- ह्रदय की सामान्य आवाज में बदलाव आ जाता है।
- आंखों की रोशनी भी कम हो जाती है।
हाई ब्लड प्रेशर में सिर में दर्द होता है और आधे सिर में भी दर्द रह सकता है। रोगी की याददाश्त कमजोर हो जाती है। रोगी का किसी काम में मन नहीं लगता। रोगी हमेशा बेचैन रहता है। रोगी की पागलों जैसी स्थिति हो सकती है। रोगी का सांस फूलता है। रोगी को उल्टी भी आ सकती है। हाई ब्लड प्रेशर होने पर रोगी क्रोध कर सकता है और चिड़चिड़ापन आ जाता है। हृदय की धड़कन बढ़ जाती है ह्रदय के ऊपरी भाग अथवा छाती में दर्द होता है। सांस लेने में दिक्कत होती है। पैरों पर भी सूजन आ जाती है कभी-कभी शरीर पर भी सूजन आ जाती है।
हाई ब्लड प्रेशर अधिक होने पर शरीर के विभिन्न अंगों पर इसका प्रभाव पड़ सकता है। हाई ब्लड प्रेशर होने पर ह्रदय,मस्तिष्क अथवा गुर्दों आदि किसी की भी धमनी कठोर हो सकती है जहां की भी धमनी कठोर होती है वहां रोग के लक्षण होने लगते हैं।यदि इस अवस्था को नियंत्रित नहीं किया गया तो रोक बढ़कर भयंकर रूप धारण कर सकता है। इसका एक दुष्परिणाम यह भी होता है कि रोगी के पैरों में नीला पन बनने लगता है। त्वचा ठंडी हो जाती है। सदा पसीना बना रहता है। शरीर दुर्बल हो जाता है। शरीर भी पीला पड़ना शुरू हो जाता है। रोगी के भार में भी कमी आ जाती है।