ADRENALINUM 200 की जानकारी लाभ और फायदे in hindi
ADRENALINUM 200 के फायदे in hindi
एड्रिनैलिनम ADRENALINUM 200
इस औषधि का उपचार सम्बन्धी व्यवहार मुख्यतः इसकी वाहिका संकोचन क्रिया पर निर्भर करता है. अतः यह एक अत्यन्त शक्तिशाली एवं शीघ्रक्रिया करने वाली तन्तु संकोचक एवं रक्तग्राव रोधक औषधि है, और शरीर के सभी हिस्सों से होने वाले अतिसूक्ष्म कैशिका रक्तस्राव (capillary haemorrhage) को रोकती है, जहाँ भी बाह्य या सीधा प्रयोग करने की सुविधा हो नाक, कान मुँह गला, स्वरयन्त्र, आमाशय मलान्त्र गर्भाशय मूत्राशय । रक्तस्रावी अवस्थाएँ जो रक्त के दोषपूर्ण जमाव के कारण न हो उनमें उपयोगी है। पूर्णरूपेण अरक्तता, अनुपात स्थान विशेष पर रक्त का अभाव (ischaemia) बिना हानि के उत्पन्न कर सकती है। आँख, नाक गला एवं स्वरयन्त्र की शल्यचिकित्सा के दौरान इस औषधि का 110,000 1 1,000 के में घोल छिड़ककर या रुई पर रखकर लगाया जाय तो यह बिना अतिरिक्त रक्त बहाये शल्यक्रिया का दक्षतापूर्वक सम्पादन कराती है।
अस्थिगहरो (इथमोइड एवं स्फीनाइड साइनस) में रक्तसंचय (congestion) एवं परागज ज्वर (hay fever) में ऐड्रिनलिन क्लोराइड के 1 5000 के अनुपात में घोल का गर्म छिड़काव किया जाय तो तुरन्त लाभ मिलता है। यहाँ पर इसकी तुलना हिपर सल्फ 1X से की जा सकती है, जो कि साव को शुरू करके बाहर निकाल फेंकती है।
बर्लहोपस रोग में 11,000 के अनुपात में त्वचा की ऊपरी सतह पर इजेक्शन दिया जाता है। बाह्य रूप में यह स्नायु डाल. स्नायु प्रदाह प्रतिवत्ती वेदना (reflex pains), गठिया, वात रोग आदि में मल्हम के रूप में व्यवहृत होता है। 11,000 के घोल की 1-2 बूँद का व्यवहार वहाँ किया जाता है जहाँ कि बात नाडियाँ त्वचा के अधिकाधिक निकट होती है ।
उपचार विज्ञान की दृष्टि से (therapeutically) एड्रिनैलिन का उपयोग फेफड़ों में उग्र रक्त संकुलन (acute congestion), दमा, ग्रेव एवं ऐडीसन के रोग धमनी काठिन्य (arterio sclerosis). जीर्ण महाधमनीशोथ, हृदशूल (angina pectoris), हीमोफीलिया, रक्ताल्पता, परागज ज्वर रक्तोद्उदभेद (serum rashes), पित्ती इत्यादि में होता है।
डा पी जॉस्सेट ने लिखा है कि उन्होंने होम्योपैथिक सिद्धान्तों के अनुसार एड्रिनलिन की अतिसूक्ष्म मात्रा में मुख द्वारा व्यवहृत कराके हृद्शल व महाधमनी शोथ के तरुण एवं जीर्ण रोगियों की सफलता पूर्वक उपचार किया है। छाती में सिकुडन की अनुभूति के साथ मानसिक व्यग्रता (mental anxiety) इस औषधि के मार्गदर्शक लक्षण हैं। घुमेरी जी मिचलाना एवं वमन भी साथ रहते हैं। उदरीय वेदना भी रहती है।
अचेत करने वाली औषधियों के व्यवहार करने के दौरान आघात (shock) अथवा हत्पात होना (heart failure), ऐसी स्थिति में यह औषधि वाहिका प्राचीरों में नाडियों के अन्तिम शिरों पर क्रिया करके बहुत ही शीघ्रता के साथ रक्त दाब बढ़ा देती है।
मात्रा– एड्रिनलिनक्लोराइड के 1.1.000 घोल की 1.5 बूँदे पानी में मिला करके ऊपरी त्वचा के अन्दर (hyodermically) इजेक्शन लगाते हैं, अन्तःप्रयोग यानि खिलाने के लिए 5 से 30 बूँदें। चेतावनी / सावधानी इस औषधि का आक्सीजन के प्रति आकर्षण होने की वजह से यह जल एवं तनुकृत अम्लीय घोलों में खराब हो जाती है। इसलिए इस घोल को हवा और प्रकाश से बचाकर रखना चाहिए। इसका व्यवहार जल्दी-जल्दी नहीं करना चाहिए, क्योंकि हृदय और धमनियों पर इसका बुरा प्रभाव पड़ता है।
होम्योपैथिक उपयोग के लिए 2 से 6 शक्ति (तनुकरण)।