Azadirachta Indica Q Mother Tincture in Hindi के फायदे
Azadirachta Indica Q Mother Tincture in Hindi के फायदे
नीम
(Azadirachta Indica)
विभिन्न नाम- संस्कृत-निम्ब, अंग्रजी-मारगोसा (Margosa) नीम के पेड़ के विभिन्न भागों को हजारों वर्षों से दवा के रूप में प्रयोग किया जा रहा है। चरक में इसको कुष्ठ रोग के लिए सुश्रुत में इसको कुष्ठ रोग और चर्म रोगों, विभिन्न प्रकार के सुजाक ज्वरों, चर्म की जलन, प्यास और खांसी के लिये लाभप्रद लिखा गया है। नीम रक्त के दोषों, फोड़े, फुसियों और विष साये हुए व्यक्ति के लिए बहुत ही अनुभूत औषधि है। वागभट्ट ने इसको फोड़े, फुन्सी, सिर की गंज और बाल समय से पहले सफेद हो जाने में बहुत लाभप्रद बताया है। बगसेन की राय में लंगड़ी के दर्द के निराश और असाध्य रोगी भी नीम से ठीक हो जाते हैं। बच्चों के ज्वर, आँखों के रोगों में लाभप्रद है।
गुण और साक्त शारीरिक थकावट, प्याज की अधिकता, खांसी, ज्वर, भूख नलगना, फोडे, फुन्सियों, संज्ञाहीन घावों, पित्त विकार से उत्पन्न होने वाले रोग जुकाम, कै, चर्म रोग, कुष्ठ रोग, सख्त हिचकी, सुजाक, और विषैले प्रभावों में बहुत गुणकारी औषधि है। पुराने घावों को भरने और ठीक करने में कोई दवा नीम का • मुकाबला नहीं कर सकती। नीम का तेल कुष्ठ रोग, एक्जीमा और घातक चर्म रोगों में बहुत लाभप्रद है। नीम रक्त के विषैले प्रभावों को दूर करता और शरीर में नई शक्ति और चुस्ती पैदा करता है। नीम स्नायु, चर्म और गर्भाशय पर विशेष प्रभाव डालता है। ज्वर, पुराने ज्वर जिसमें हाथ-पाँव और शरीर में जलन प्रतीत हो, दमे का सख्त दौरा और गर्भाशय की कमजोरी में बहुत लाभप्रद है। रोगी हर बात को भूल जाये. बात या पाठ याद न रहे, सिर का दर्द, सिर चकराना और आँखों के आगे अंधेरा आ जाने में लाभकारी है। कुनीन के अधिक प्रयोग से उत्पन्न कष्ट और उसकी गर्मी तथा खुश्की को दूर करता है। नजला, जुकाम, खाँसी और दमा में लाभप्रद है। पुराना ज्वर जो कम्पन या सर्दी लगकर शाम या दोपहर के बाद शुरू हो जाये, मुँह का स्वाद कड़वा, पेट में बोझ प्रतीत होना, अफारा, मुँह और गुदा से वायु निकले, यकृत और तिल्ली में वृद्धि और अपना कार्य करने के अयोग्य हो, आँखों हाथों, पाँवों और शरीर में जलन के साथ ज्वर हो तो इन रोगों को दूर करने में नीम विशेष गुण रखता है।
मात्रा- 1x शक्ति की दवा की 2 बूँदें दिन में 3-4 बार थोड़े पानी में मिलाकर पिलाये।