Filariasis ! फाइलेरिया रोग क्या है । फाइलेरिया के कारण और लक्षण, Filariasis in Hindi

 फाइलेरिया क्या है ? – what is Filariasis ? 


      इस रोग में टांगे सुजकर हाथी की टांगों की तरह हो जाती हैं इसलिए आमतौर पर इसे फीलपांव, श्लीपद या हाथीपांव भी कहते हैं। इसके अधिकांश लक्षण मलेरिया जैसे होते हैं। मच्छरों द्वारा जो बीमारियां मनुष्य में फैलती हैं उनमें फाइलेरिया एक जटिल बीमारी है। इस रोग के कारण मनुष्य को अनेक शारीरिक समस्याएं उत्पन्न हो जाती हैं। इस रोग के लक्षण शरीर में जल्दी दिखाई नहीं देते।


    यह एक संक्रमित रोग है जो माइक्रोफाइलेरिया नामक बैक्टीरिया से होता है। शरीर में माइक्रोफाइलेरिया के कीटाणु पहुंचने के लगभग 8 से 16 माह बाद ही रोग के लक्षण प्रकट होते हैं। इस रोग में पैर सुज कर मोटे हो जाते हैं। माइक्रोफाइलेरिया अनेक वर्षों तक शरीर में बिना कोई लक्षण के रह सकता है। अगर यह रोग अधिक बढ़ जाए तो इस कारण रोगी से चलना मुश्किल हो जाता है। यह एक भयंकर पीड़ा देने वाला रोग है।


फाइलेरियाा के कारण :Causes of filariasis:

फाइलेरिया रोग किसी भी आयु में हो सकता है यह महिलाओं की अपेक्षा पुरुषों में अधिक पाया जाता है। फाइलेरिया का रोग गांव की अपेक्षा शहरों में अधिक पाया जाता है। तथा गंदी बस्तियों में रहने वाले लोगों को ज्यादा संख्या में होता है। यह रोग व्यक्ति को तभी होता है जब व्यक्ति कम से कम 3 से 6 माह तक संक्रमित इलाके में रहता है। इस रोग का बैक्टीरिया हमारी त्वचा में जले हुए या कटे-फटे स्थान से प्रवेश करता है।

    यह रोग सामान्य रूप से फाइलेरिया ब्रेंकाफ्टाइ नामक परजीवी द्वारा उत्पन्न होता है। इस परजीवी के अंडे रोगी मनुष्य से स्वस्थ मनुष्य में मच्छरों द्वारा पहुंचते हैं। एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में रोग का संचारण क्युलेक्स मच्छरों द्वारा होता है। अगर कोई मच्छर किसी फाइलेरिया वाले रोगी को काटता है तो उसके बैक्टीरिया उस मच्छर के अंदर चले जाते हैं। अगर वह मच्छर किसी स्वस्थ इंसान को काट ले तो उसके बैक्टीरिया उस स्वस्थ इंसान के अंदर चले जाते हैं। इस रोग के लक्षण जल्दी दिखाई नहीं देते इस रोग के लक्षण दिखने में कुछ समय लगता है।


मादा फाइलेरिया बैक्टीरिया खून से निकलकर आंतों में और आंतों से निकलकर त्वचा के ऊपरी भाग पर आ जाती है। वहां लसीका में अवरोध उत्पन्न कर हाथ-पैर, नाक, आंख आदि स्थानों में सूजन उत्पन्न करती रहती है दिन में यह बैक्टीरिया खून में नहीं पाए जाते जो व्यक्ति दिन में सोते और रात में जागते हैं उनके खून में दिन में बैक्टीरिया मिलते हैं।


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फाइलेरिया के लक्षण : – symptoms of Filariasis

  • शरीर में विभिन्न प्रकार की गांठ पड़ जाती हैं।
  • रोगी को जाड़े और बुखार के साथ पसीना आता है।
  • रोगी के हाथ पैर आदि अंगों पर सूजन आ जाती है।
  • फाइलेरिया के लक्षण धीरे धीरे या कई वर्षों बाद तक दिखाई पड़ सकते हैं।
  • पुरुषों के अंडकोष का आकार बढ़ जाता है। इस लक्षण को हाइड्रोसील कहा जाता है।
  • फाइलेरिया पैर ,हाथ ,स्तन ,जननांग, पेट पर हो सकता है।
  • पेट में जलोदर या एसाइटिस की समस्या हो जाती है।
  • त्वचा फटने लगती है और उसमें से पस बहता है।
  • तिल्ली का आकार बढ़ जाता है।
  • सांस फूलने लगता है।
  • जहां मच्छर काटता है वहां पर चकता निकल आता है।
  • मच्छर काटे स्थान पर भारीपन होता है।
  • आधी रात से कुछ पहले अचानक ठंड लगना।
  • पेर पर जहां सूजन होती है वहां की त्वचा धीरे-धीरे मोटी और खुरदरी होने लगती है।
  • त्वचा चमड़े के सामान हो जाती है।
  • रोगी की टांगो की त्वचा का रंग गहरा बदरंग हो जाता है।
  • टांगे हाथी के पांव की भांति गोल-गोल मोटी हो जाती हैं।



पैर के जिस भाग पर सूजन होती है वहां की त्वचा धीरे-धीरे मोटी और खुरदरी होने लगती है। उसी स्थान पर फोड़े हो सकते हैं। जिनमें घाव बन जाते हैं। त्वचा के इस भाग पर मस्से भी हो सकते हैं। त्वचा चमड़े के समान हो जाती है। रोगी के वृषणों का आकार बढ़ जाता है। पैरों में अत्यधिक सूजन आ जाती है। कभी-कभी भार इतना अधिक बढ़ जाता है कि रोगी को चलने फिरने हिलने डुलने में समस्या उत्पन्न हो जाती है।

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