Lathyrus Sativus Q homoeopathic mother tincture In hindi – Dr.Reckeweg Lathyrus Sativus Q uses and Banefit in hindi
Lathyrus Sativus Q homoeopathic mother tincture In hindi – Dr.Reckeweg Lathyrus Sativus Q uses and Banefit in hindi
लथाईरस स्टीवंस
(Lathyrus Sativus)
इस दवा का प्रभाव विशेष रूप से पृष्ठ रज्जू पर होता है।श्रेष्ठ रज्जू के साथ और मस्तिष्क के इस भाग से संबंधित रोगों और विशेषकर निचले धड़ के ऐठन युक्त पक्षाघात में यह चोटी की दवा है। रोगी के पांव लड़खड़ा ना, घुटनों में झटके लगना, टांगो की शक्ति लुप्त हो जाना, चलते समय टांगों को घसीट ना पड़े टांगे अकड़ जाएं और रोगी चलने के अयोग्य हो जाएं,चलते-चलते गिर पड़े, चलते समय दोनों घुटने आपस में टकरायें। पृष्ठ ज्यू पुरानी शोध जिसके कारण रोगी में ऐंठन के लक्षण पैदा हों। निचले अंग सुन्न क जाये, उनमें दर्द हो, सर्दी से कष्ट बढ़ जाये। यह दवा पाँव के पक्षाघात, बच्चों के पाँव में पोलियो रोग में बहुत ही लाभप्रद है। 28 वर्ष का एक नवयुवक शरीर टिशूज (तन्तुओं) के सस्त हो जाने और अंगों में तन्तु पैदा हो जाने के कारण चलने-फिरने के अयोग्य हो चुका था, वह 6 वर्ष से बिस्तर पर पड़ा था, इस से थोड़े ही समय में चलने फिरने लग गया। एक दूसरे रोगी के दोनों पाँव में फालिय हो चुका था, वह भी इस दवा से कई वर्षों बाद दोबारा चलने-फिरने लग गया। एक और रोगी जोड़ों के पथरा जाने और उनमें शोध हो जाने के कारण पाँव के में ग्रस्त था। इस दवा से उसको दोबारा नया जीवन मिल गया। पाँव के रोगी जो पहाड़ों में रहते हैं, उनको इस दवा से विशेष रूप से लाभ होता है।
मात्रा- 3x शक्ति की एक रत्ती दवा दिन में 2-3 बार कई मास तक रहें।