Measles ! खसरा के कारण और लक्षण ! Measles in Hindi
खसरा क्या है ? What is measles ?
खसरा वायरस से होने वाला एक काम संक्रमण बीमारी है। यह बच्चों की एक अत्यंत संक्रमण और जानलेवा बीमारी है। हमारे देश में करोड़ों बच्चे इसके शिकार होते हैं और 5 साल तक के बच्चे इसके अधिक शिकार होते हैं। किसी गांव व अन्य स्थान में एक समय, एक बच्चे से कई बच्चे इसके शिकार होते हैं। यह रोग सारे विश्व में पाया जाता है। यह रोग बरसात के बादअधिक होता है। रोग निम्न और मध्य आयु वर्ग के बच्चों में अधिक पाया जाता है। यदि किसी घर में एक बच्चा इस रोग से पीड़ित है तो उस घर के सारे बच्चों में यह रोग हो जाता है।
खसरा के कारण : Causes of measles:
खसरा मीजिल्स अथवा रूबियोला नामक वायरस द्वारा होता है। अक्सर हवा में उपस्थित खसरा के वायरस बच्चे के शरीर में उसकी सांस की नलीयो से प्रवेश करते हैं। शुरू के 9 से 15 दिनों तक वायरस के शरीर में रहने के बावजूद उसके कोई लक्षण प्रकट नहीं होते हैं। इस दौरान खसरा का वायरस बच्चे की कोशिकाओं में अपनी संख्या बढ़ाता है। बाद में बच्चे में खसरा के सारे लक्षण दिखाई देने लगते हैं।
बीमार बच्चों की सांसों से हजारों वायरस वातावरण में फैल जाती हैं। यह सिलसिला दाने निकलने के कुछ दिन पहले से दाने निकलने के 5 दिन बाद तक जारी रहता है। इसलिए एक बच्चे को खसरा हो जाने पर घर के दूसरे बच्चे, आसपास के बच्चे, स्कूल के दूसरे बच्चों को भी खसरा का रोग हो जाता है। इस कारण बेहतर होगा कि जिस बच्चे को खतरा हो गया है। उसे दूसरे बच्चों से कुछ दिन तक अलग रखा जाए और उसक बच्चों के साथ न खेलने दिया जाए या स्कूल आदि न भेजा जाए, ताकि अन्य बच्चे बेवजह इस बीमारी के चंगुल में न फंसे। रोगी बच्चे में यह वायरस बच्चे के नाक में, मुंह में, गले में, आंखों में, लसीका ऊतकों में पाए जाते हैं।
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अधिकतर 3 से 5 वर्ष तक के कुपोषित बच्चे इस रोग के अधिक शिकार होते हैं। जबकि अधिक उम्र के बच्चे या बड़े भी कभी-कभी इस रोग के शिकार हो जाते हैं। खसरा के दाने निकलने के 5 दिन पहले से लेकर 5 दिन बाद तक रोगी बच्चे अन्य के लिए अत्यंत संक्रामक होता है।
खसरा के लक्षण : Symptoms of measles:
खसरे की बीमारी की शुरुआत सर्दी जुखाम से होती है। बच्चों को अचानक बुखार हो जाता है। नाक बहती है और छींके आती हैं, आंखें लाल हो जाती है, पलकें सुज जाती है, कभी-कभी गले में खराश हो जाती है और रोशनी आंखों को अच्छी नहीं लगती, खांसी भी हो सकती है किसी इलाज से फायदा नहीं होता है नाक पर सफेद भूरे धब्बे उभर आते हैं, 3 से 7 दिन के अंदर पहले चेहरे पर कान के पीछे फिर सारे शरीर पर खसरा के महीन महीन दाने उभर आते हैं। यह 4 से 7 दिन तक रहते हैं, त्वचा का रंग गहरा हो जाता है।
चमकीले गुलाबी अथवा लाल रंग के दाने सबसे पहले चेहरे व गर्दन में दिखाई पड़ते हैं, जो 2 से 4 दिन के भीतर शरीर के अन्य भागों में फैल जाते हैं। चार-पांच दिन के भीतर ये दाने रंग बदलने व मिटने लगते हैं। 6 दिन बाद दानों के स्थान पर भूरे रंग के अवशेष रह जाते हैं। खसरा के दाने निकलने की एक अथवा 2 दिन पहले रोगी के मुंह की म्यूकस मेंब्रेन में एक विशेष प्रकार के धब्बे दिखाई देते हैं जो छोटे-छोटे अनियमित आकार के धब्बे लाल रंग के होते हैं।
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कभी-कभी बच्चों को दौरे भी पड़ सकते हैं। जो दाने निकलने के समय पड़ते हैं। एक बच्चे से दूसरे बच्चों को यह रोग वायु के द्वारा खांसने, छींकने से पहुंचता है। जो दाने निकलने के पहले ही होता है। जब यह रोग दाने निकलने के बाद पहचाना जाता है उससे पहले ही दूसरे बच्चे इस रोग से प्रभावित हो जाते हैं। सर्दी, जुखाम और बुखार तथा चेहरे का लालपन देखने पर खसरे की संभावना का ध्यान रखना चाहिए और 10 दिन के लिए बच्चे को और बच्चों से अलग रखने का प्रयत्न करना चाहिए।
खसरा के सामान्य लक्षण : Common symptoms of measles:
- शुरू में तेज बुखार आता है।
- अत्यधिक खांसी आती है।
- नाक और आंखों से पानी आता है।
- आंखें लाल हो जाती हैं।
- मुंह व जीभ लाल हो जाती है।
- मुंह में छाले पड़ जाते हैं।
- पतले दस्त आते हैं।
- सबसे पहले चेहरे पर छोटे छोटे लाल दाने होने लगते हैं।
- दाने निकलते ही बुखार तेज हो जाता है।
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बच्चाा काफी चिड़चिड़ा हो जाता है और हर समय रोता रहताा है। दाने और खसरा का प्रकोप 3 या 4 दिन रहने के बाद कम होने लगता है और बच्चे की हालत धीरे-धीरे सुधरने लगती है।
खसरा का गंभीर परिणाम : Severe consequences of measles:
गरीबी और उससे जुड़ा कुपोषण और घनी व गंदी बस्तियों में रहने से ही यह तेज गति से फैलता है। खसरा की कोई न कोई जटिलता बच्चे को अपने चंगुल में दबोच लेती है। जिससे बच्चे की हालत सुधरने की बजाय बिगड़ती ही जाती है। खसरे से ग्रस्त लगभग हर बच्चे को आंखों का संक्रमण हो जाता है। जिसके कारण आंखों से पानी व कीचड़ आती है। गंभीर दशा में आंखों में अल्सर भी हो सकते हैं। आंखों में हुई जटिलता का समुचित उपचार न करने पर बच्चा अंधेपन का शिकार भी हो सकता है।
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खसरा का संक्रमण मस्तिष्क को प्रभावित करने पर इंसेफलाइटिस की स्थिति आ सकती है। जिसके कारण बच्चे की यादास पर असर पड़ता है। खसरा से ग्रसित बच्चे में पतले दस्त की शिकायत भी आती है। यह पाचन तंत्र में संक्रमण के फलस्वरूप होता है। इसके अलावा बच्चे के कान से पस बहता है ।
खसरा से बचाव : Measles Prevention:
स्वस्थ बच्चे को खसरा ने हो इसके लिए आवश्यक है कि उन्हें बीमार बच्चों से दूर करे। खसरे से बचाव का उपाय है एकमात्र टीका, बच्चे को यदि उन्हें टीका नहीं लगा है तो उसे टीका लगवा देना चाहिए। खसरे के टीके में खसरे के वायरस को इस तरह परिवर्तित करके रखा गया है कि इससे बीमारी तो नहीं होती किंतु इससे बच्चे में खसरे के वायरस से लड़ने के लिए प्रतिरोधक शक्ति जरूर विकसित हो जाती है। भविष्य में खसरे से वायरस के शरीर में प्रवेश करने के बाद बच्चा इन वायरसों को जल्द ही नष्ट कर देता है।