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Nephrotic syndrome ! नेफ्रोटिक सिंड्रोम क्या है, गुर्द की एक खतरनाक बीमारी, symptoms of nephrotic syndrome,

 


नेफ्रोटिक सिंड्रोम क्या है ?  -What is nephrotic syndrome ?

    यह गुर्दे की एक खास किस्म की बीमारी है। इस बीमारी में प्रोटीन डायरेक्ट गुर्दे से छनकर पेशाब के माध्यम से बाहर निकल जाते हैं। जिस कारण खून में प्रोटीन की बहुत अधिक मात्रा कम हो जाती है। जिस कारण शरीर पर अत्यधिक सूजन आ जाती है, इस बीमारी को नेफ्रोटिक सिंड्रोम कहते हैं।




नेफ्रोटिक सिंड्रोम के कारण :

     अगर गुर्दों में इन्फेक्शन या किसी अन्य कारण से वह चोट ग्रस्त हो जाए तो गुर्दे प्रोटीन को मूत्र से अलग नहीं कर पाता और उसकी मात्रा पेशाब में बढ़ती जाती है परिणाम स्वरूप खून में प्रोटीन की कमी हो जाती है।

अगर किसी व्यक्ति को एलर्जी हो जाए तो उसे नेफ्रोटिक सिंड्रोम की बीमारी हो सकती है।

वायरस वह बैक्टीरिया के संक्रमण से भी यह बीमारी होती है।

दवाइयों के साइड इफेक्ट के कारण भी यह बीमारी हो सकती है।     

लंबे समय तक दवाइयों के इस्तेमाल करने से भी नेफ्रोटिक सिंड्रोम हो जाता है।

अगर किसी कारण से गुर्दों पर सूजन आ जाए या गुर्दों का आकार बढ़ जाए तो नेफ्रोटिक सिंड्रोम की बीमारी हो जाती है।

डायबिटीज के रोगियों को यह बीमारी हो सकती है।

सिफिलिस के रोगियों को अक्सर यह बीमारी हो जाती है।

      अधिकतर बच्चोंं मे इस रोग का कारण पता नहीं चल पाता। इस रोग का पता खून और पेशाब की जांच कराने पर होता है। खून में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा अधिक हो जाती है और प्रोटीन की मात्रा कम होती जाती है।


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नेफ्रोटिक सिंड्रोम के लक्षण : symptoms of nephrotic syndrome ?

रोगी के  शरीर पर सूजन आ जाती है। 

सूजे हुए स्थान पर अंगूठे से दवाकर छोड़ा जाए तो गड्ढा पड़ जाता है।

 कभी-कभी सूजन इतनी बढ़ जाती है कि सारा शरीर फूल जाता है।

जब रोगी सुबह सोकर उठता है तो सूजन अधिक होती है।

रोगी का शरीर पीला हो जाता है और रोगी कमजोर दिखाई देता है।

अगर रोग अधिक बढ़ जाए तो पेशाब की मात्रा बहुत कम हो जाती है।

नाखूनों पर चौड़ाई में वैंड से पड़ जाते हैं।

कुछ रोगियों को हाई ब्लड प्रेशर की समस्या रहती है।

प्रोटीन की कमी से शरीर में संक्रमण हो सकता है।

रोगी के नाक व मुंह से खून आ सकता है।

बच्चों में सर्दी जुखाम बार-बार हो जाता है।

बच्चों को इंसेफलाइटिस की समस्या हो सकती है।

रोग बच्चों में अधिक समय तक रहे तो बच्चों का शारीरिक और मानसिक विकास रूक जाता है।

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