Pleurisy Symptoms and Causes : प्लूरिसी के कारण, लक्षण

Pleurisy Symptoms and Causes : प्लूरिसी के कारण, लक्षण

प्लूरिसी (Pleurisy) क्या है?

  हमारे शरीर के फेफड़े प्लुरा की दो परतों म्यूकस मेंब्रेन से ढका रहता है। जब ये मस्कस मेंब्रेन में सूजन हो जाती है तो इसे प्लूरिसी कहते हैं। यह रोग अत्यधिक सर्दी के कारण भी हो सकता है ज्यादातर यह रोग बैक्टीरिया के संक्रमण के बाद होता है इसमें दोनों परतों के बीच में द्रव भरने जाने से रोगी को छाती में दर्द होता है। रोग में तेज बुखार के साथ फेफड़े पर अत्यधिक सूजन होती है। आ जाता है रोगी को बलगम की समस्या भी बनी रहती है।

Pleurisy Symptoms and Causes
Pleurisy Symptoms and Causes

     प्लूरिसी होने के कारण:

  • जिन लोगों के फेफड़े कमजोर हैं उन लोगों को यह बीमारी अधिक होती है।
  • यह रोग ज्यादातर श्वसन संबंधी बीमारियों के कारण उत्पन्न होता है।
  • निमोनिया होने पर भी पसलियों में दर्द हो सकता है।
  • छाती पर चोट लगने से भी प्लूरिसी का रोग हो जाता है।
  • लिवर संबंधी बीमारी के कारण भी पसलियों में दर्द होता है।
  • यह रोग सर्दी के प्रभाव से होता है।
  • उचित भोजन नहीं मिलना के कारण भी यह रोग होता है।
  • पसलियों में बैक्टीरियल इन्फेक्शन के कारण मुकस मेंब्रेन पर सूजन आ जाती है और दर्द होने लगता है।
  • पुरानी बीमारी के कारण भी यह बीमारी हो जाती है।
  • सांस की नली पर सूजन आ जाने के कारण भी यह रोग होता है।
  • पेट के ऑपरेशन के बाद भी यह रोग हो जाता है।

        प्लूरिसी होने के लक्षण:

 

     छाती में बहुत तेज दर्द होता है जो सांस लेने, खाना खाने व खांसने से भी होता है। छाती में काटने वाला दर्द होता है। रोगी खुलकर सांस नहीं ले पाता, खांसी आने पर दर्द अधिक बढ़ जाता है और बलगम भी नहीं निकलता रोगी आराम से न सो पाता और न बैठ पाता है। इस बीमारी में रोगी को कभी-कभी उल्टियां भी आती हैं। रोगी के सीने पर भारीपन व दुखन बना रहता है।

    इस बीमारी में शुरू से ही बुखार बना रहता है। रोग के शुरू में बुखार कम रहता है व रोगी को थकान और भूख की कमी रहती है रोगी बेचैन रहता है ज्यादा बुखार केवल तब होता है जब प्लुरा में पस पड़ा हो। शरीर का तापमान 103 से 104 डिग्री फारेनहाइट तक रहता है। रोगी को सूखी खांसी होती है।

 

     छाती दर्द को समय कम फूलती है और साँस भी पूरा नहीं लिया जाता है साँस लेने पर छाती के अंदर ‘प्लूरल रब’ की आवाज़ आती है। रोगी को खाने की कुछ इच्छा नहीं रहती है और प्यास अधिक लगती है।

 

  नोट – यह रोग अधिकतर टी। वी। है होता है। यह बीमारी इनफ्लुएंजा वायरस, खेसरिया, छोटी चेचक के वायरस आदि से भी हो सकती है।

 

याद रहे – सुखी प्लूरिसी मैं मुकस मेंब्रेन सूखी वे खुरदरी होती है और किसी तरह का द्रव एकत्र नहीं होता है जिसमें खांसी की सूखी और सांस लेने पर छुरी चुभने जैसा दर्द होता है। सांस के साथ छाती को हिलाने की गति कम हो जाती है। और रोगी जल्दी-जल्दी सांसे लेता है ।रोगी को सूखी खांसी होती है जो बहुत कष्ट देता है कुछ समय बाद खांसी के साथ बलगम भी आ सकता है।

 

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