SBL ABROTANUM 30 के फायदे in hindi

SBL ABROTANUM 30 के फायदे in hindi

एब्रोटेनम (ABROTANUM)

यह औषधि सुखण्डी रोग (marasmus) में अत्यन्त उपयोगी है विशेषकर जबकि मात्र ही प्रभावित हो यद्यपि भूख अच्छी लगती है किसी रोग का अन्य स्थान पर प्रकट होना (metastalis) दस्तों को एकदम रोक देने पर बात-रोग उत्पन्न हो जाना। दबी हुई रोगावस्थाओं कुपरिणाम विशेषकर गठियावात से पीडित रोगियों में यक्ष्मापरक उदरावरणशोथ (tuberculous peritonilis), सद्रव फुस्फुसावरणशोथ (exudative pleurisy) एवं ऐसे ही अन्य रोग जिनमें प्रक्रिया होती है। जल (hydrothorax) या अन्त पूयता (empyaemia) के लिए दक्ष की शल्यचिकित्सा के पश्चात वक्ष में दबाव की अनुभूति बनी रहना। बात-रोग में आराम मिलते ही बवासीर के लक्षणों का उभर आना बच्चों में नकसीर एवं अण्डकोष में जल संचय (hydrocele) होना।

 

SBL ABROTANUM 30 के फायदे in hindi

मन – रोगी बहुत ही जिदी चिडचिडा अधीर निराश एवं हतोत्साहित होता है।

 चेहरा-सुरीदार, ठण्डा रूखा पीला-सा निस्तेज होता है। आँखों के चारों और नीला घेराव खे झुकी झुकी सी रहती है। कृषता (emaciation) के साथ मुँहासे जो सूखने के बाद काले दाने की तरह उदभेद छोड़ जाते है। नकसीर फूटना चेहरे पर रक्तवाहिकार्बुद होना। (angioma of face) |




आमाशय कीचड़ जैसा स्वाद भूख अच्छी लगती हैं परन्तु शरीर सूखता चला जाता है। मल के साथ अनपचा भोजन निकलता है। आमाशय में काटने फाइने जैसा दर्द जो रामे है। आमाशय का पानी में तैरने जैसी अनुभूति होना ठण्डा अनुभव पड़ता है। पेट में कु जसी अनुभूति के साथ भूख एवं इसकी वजह से मिनभिनाहट। अजीर्ण के साथ अधिक मात्रा में बदबूदार दमन होना।



उदर– उदर के अन्दर कठोर देने की तरह गाँठ (lump) का होना उदर फूला हुआ।पर्यायक्रम से कब्ज एवं अतिसार बवासीर मलत्याग की निरंतर हाजत बने रहना समय मल

वातरोग लक्षणों के घटते ही वृद्धि होना। गोल कृमि (ascardes) नाभि से रस रक्त का रिसायहोता है। आँतों के नीचे की ओर पेंसने की अनुभूति होना।

श्वसन– श्वसन संस्थान में कच्चेपन की अनुभूति होना। श्वास-प्रश्वास में बाधा अतिसार के उपरान्त खुश्क खाँसी का होना यक्ष के आरपार दर्द हृदय के आस-पास के क्षेत्र में जबरदस्त वेदना होना।




 पीठ-गर्दन इतनी कमजोर होती है कि रोगी सिर को ऊपर उठाकर नहीं रख सकता।

कमर लुंज कमजोर एवं दर्दमय कटि प्रदेश में वेदना जी वृष्णरज्जु (spermatic cord) तक पहुंच

जाती है। बवासीर के साथ त्रिकास्थि (sacrum) में दर्द

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