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Solidago Virgaurea mother Tincture Q के फायदे in Hindi

 

Solidago Virgaurea mother Tincture Q के फायदे in Hindi.


Solidago Virgaurea mother Tincture Q के फायदे in Hindi

Solidago Virgaurea Q


डॉक्टर गाला वार्डिन ने अपनी एक पुस्तक में लिखा है- “मुझे एक स्त्री ने बताया कि उसके पति को पिछले एक वर्ष से मूत्राशय रोगग्रस्त होने के कारण मूत्र बन्द हो जाता था और वह कैथेटर प्रवेश करके अपना मूत्र निकालता। उस स्त्री को किसी सज्जन ने बताया कि वह अपने पति को इस पौधे के पत्ते और फूलों का क्वाय पिलाती रहे। यह क्वाथ पिलाते रहने से उसके पति को स्वत: मूत्र आने लग गया और बाद में कैथेटर प्रवेश करने की आवश्यकता ही न पड़ी। यह पिछली शताब्दी की बात है। इस दवा का यह गुण जानकर डॉक्टरों ने उस पौधे को मूत्र सम्बन्धी रोगों के सैकड़ों रोगियों पर आजमाया और पूर्ण सफलता मिलने पर इस दवा का टिक्चर संसार भर प्रयोग होने लग गया।


50 से 75 वर्ष के रोगी जिनका मूत्र महीनों बल्कि वर्षों से कैथेटर प्रवेश करके निकालना पड़ता था उनको इस दवा से स्वत मूत्र आने लग गया। 37 वर्षीय स्त्री जो कई बच्चों की माँ थी, उसको पिछले चार मास से प्रदर नहीं आया था, उसको आधे-आधे घण्टे बाद पानी जैसा मूत्र आता और रात को कई बार मूत्र के लिए उठना पड़ता। कमर में हर समय दर्द रहता उसकी कमर को वृक्कों के स्थान पर दबाने से स्त्री को दर्द प्रतीत होता, मूत्र में एल्यूमिन भी आती थी। इस दवा की दूसरी ही मात्रा से पेट फूलना, आमाशय और मूत्र सम्बन्धी दोष आदि समस्त कष्ट बहुत कम रह गए। इसके साथ ही उसको पल्साटिला भी दिया गया। जिससे उसको प्रदर भी आने लग गया। यह दवा वृक्कों के स्थान पर दर्द और खराश होने के कारण मूत्र रूक जाने किसी भी कारण से मूत्र न रोक सकने, मूत्र दर्द और कष्ट से आने, मूत्र में एल्बूमिन और रक्त आने मूत्र के नीचे गाढ़े काले रंग की गाद में बैठ जाने, वृक्कों के स्थान पर दर्द जो पेट और मूत्राशय तक जाये, वृक्क स्थान पर बोझ और दबाने पर दर्द प्रतीत हो, वृक्क फैले हुए प्रतीत हों, मूत्र कम मात्रा में गहरा लाल या भूरे रंग का आये वृक्क या मूत्राशय में पथरी, ककरी या रेत हो, ब्राईटस डिजीज आदि रोगों के साथ ही रोगी को चर्म रोग भी हों, नींद न आये तो ये सब रोग इस दवा से दूर हो जाते है। इसके साथ ही इस दवा का प्रभाव पाचनाँगों पर भी पड़ता है। जीभ पर मैल की मोटी तह जमी हो जो पाचक औषधियाँ खाने पर भी साफ न हो, मुँह का स्वाद खराब और कड़वा, अन्तड़ियों की पुरानी शोध, अतिसार और पेचिश जिसमें मूत्र कम मात्रा में आये, कब्ज हो, पेट में मरोड़ और दर्द, पेट में वायु और गैस के कारण पेट फूल जाये, रात को कष्ट बढ़ जाये तो यह दवा चमत्कारी प्रभाव दिखाती है।


मात्रा-4 से 20 बूंदें थोड़े पानी में मिलाकर दिन में 2-3 बार पिलायें।


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