Symphytum Officinalis Q mother Tincture के लाभ और फायदे in hindi
Symphytum Officinalis Q mother Tincture के लाभ और फायदे in hindi.
सिम्फाईटम आफिसिनलिस (Symphytum Officinalis)
भारत, यूरोप और अमरीका में यह पौधा बहुत पैदा होता है। परन्तु दवा के रूप में हम इससे लाभ नहीं उठाते। इस पौधे के पत्तों की लुगदी गा क्वाथ की टकोर करने और उसमें कपड़ा गीला करके उसकी गद्दी बाँधने से टूटी हुई हड्डियों तुरन्त जुड़ जाती हैं। हड्डियों का दर्द दूर हो जाता है। इसलिए इस बूटी को हिन्दी में हड्डी जोड़ और अंग्रेजी में Knit Bone कहते हैं। चौड़ी हड्डियों पर यह दवा विशेष रूप से प्रभाव डालती है। हड्डी जोड़ने और सेट करने वाले चिकित्सकों को इस दवा से अधिक से अधिक लाभ उठाना चाहिए। हड्डियों के दर्द, हड्डी पर चोट लगने से उत्पन्न दर्द और कष्ट कुर्री हड्डियों (नरम हड्डियों) और खोपड़ी की हड्डियों की चोट, दर्द और उनके टूट जाने पर यह दवा बहुत लाभ पहुँचाती है। हड्डियों के घाव, चोट, हड्डी टूट जाने पर उसको जोड़ने में यह दवा बहुत सफल सिद्ध हुई है। हड्डियों के उपरोक्त रोगों में इस दवा के टिक्चर को पानी में मिलाकर या पौधे के क्वाथ में कपड़े की गद्दी भिगोकर पीडित स्थान पर बाँध दें। दर्द और शोथ को दूर करने और टूटी हड्डी जोड़ने के लिए यह दवा पानी में मिलाकर पिलाते भी रहें। एक दो दिन में ही टूटी हड्डी जुड़ जाती है।
एक रोगी की जघा में चोट लगने के कारण दोनों ओर अखरोट के बराबर उभार निकल आये, वह उन उभारों पर इसका टिंक्चर मलता रहा जिससे उभार बिल्कुल दूर हो गए। एक बार एक रोगी पीठ के बल गिर पड़ा जिसके कारण उसको पीठ के निचले भाग में असहनीय दर्द होता और ऐसा प्रतीत होता जैसे कि कमर की कोई हड्डी टूट गई है। इस टिक्चर को पानी में मिलाकर उसमें कपड़े की गद्दी भिगोकर रखते रहने से दो-चार दिन में दर्द बिल्कुल दूर हो गया। चोटों के सख्त दर्द में इसका टिक्चर पिलाने और दर्द के स्थान पर लगाने से तुरन्त आराम आ जाता है। यह दवा पुराने घावों में खराश, दर्द और शोध को दूर करके पीप और रक्तस्राव रोक कर उनको ठीक कर देती है। एक घोडे का घाव कई दवायें लगाने पर भी ठीक नहीं हुआ या घोड़ा काम नहीं कर सकता था। इस दवा का टिक्चर घाव पर लगाते रहने से दो सप्ताह में ही घाव पूर्ण रूप से ठीक हो गया।
डॉक्टर थामसन, प्रेजीडेंट रॉयल कॉलिज आफ सर्जन्ज, आयरलैंड ने इस दवा का वृत्तान्त लन्दन की प्रसिद्ध पत्रिका लेनसिट (Lancet) में इस प्रकार लिखा है “एक रोगी के गाल में एक घातक रसूली (कैन्सर) निकल आई जो बढ़ते बढ़ते नाक की ओर चली गई। यह एक घातक प्रकार का कैन्सर था। कुछ समय पश्चात् लन्दन के एक प्रसिद्ध सर्जन ने उसका ऑप्रेशन किया, रसूली ने गाल के काफी भाग को घेर लिया था। रोगी की खोपड़ी की निचली हड्डियाँ भी रसूली के प्रभाव से रोगग्रस्त हो चुकी थीं। यहाँ से फैलकर रसूली नाक के गहर को प्रभावित कर चुकी थी। ऑप्रेशन के पश्चात् रसूली दोबारा निकलनी आरम्भ हो गई थी और एक आँख को प्रभावित करती जा रही थी। रसूली नीली और सस्त थी तथा उसके कई लोब (लोधडे) बन चुके थे परन्तु फिर भी रसूली नहीं फटती थी। दूसरा ऑप्रेशन करना खतरे से खाली नहीं था। रोगी चला गया परन्तु कुछ दिनों के पश्चात् दोबारा आया, उसकी रसूली बिल्कुल दूर हो चुकी थी और स्वास्थ्य पहले से बहुत अच्छा हो चुका था। उसके मुँह, नाक और गाल का भली प्रकार निरीक्षण किया गया। परन्तु वहाँ रसूली का चिन्ह तक नहीं रहा था और न ही उसको किसी प्रकार का कष्ट या दर्द होता था। पूछने पर उसने बताया कि मेरे एक परिचित सज्जन ने मुझे सिमफाइटम पौधे की पुल्टिस बाँधने को कहा। उसको बाँधते रहने से यह रसूली पूर्ण रूप से दूर हो गई। लन्दन के बड़े-बड़े सिविल सर्जन तक इस प्रभाव को देखकर चकित रह गए। कैन्सर की घातक रसूली जो ऑप्रेशन करने पर पुन उत्पन्न हो गई थी, इस दवा से स्थायी रूप से दूर हो गई थी।
हड्डी और हड्डी के परदे की चोट, दर्द, शोथ और हड्डी टूट जाने में यह चमत्कारी औषधि है और टूटी हड्डियों को जोड़ने का भारी गुण रखती है। चोट लगने से आँख में दर्द होना, चोट लगने से सख्त दर्द होना, घावों का दर्द, शौय और उनसे पीप व रक्त आना और फोड़ो एवं रसूलियों को दूर करने में बहुत गुणकारी औषधि है। 3 से 10 बूँदें थोड़े पानी में मिलाकर दिन में 3-4 बार पिलाते रहें और टिक्चर को 3-4 गुणा पानी में मिलाकर उसमें कपडा गीला करके टूटी हड्डी और दर्द के स्थान पर बार-बार रखते रहें।
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